Sunday, December 2, 2018

हमसे स्कूल दूर या स्कूल से बाहर हम


कौशलेंद्र प्रपन्न

कैसा सवाल है। यह सवाल कितना उलझ हुआ सा लगता है। लगता है बच्चे इन्हीं सवालों में अपनी जिं़दगी का बड़ा हिस्सा शिक्षा की मुख्यधारा से बाहर काट देते हैं। दरअसल शिक्षा से ये बाहर नहीं हैं बल्कि शिक्षा को इनसे बेदख़ल कर दिया है। हालांकि वैश्विक स्तर पर संयुक्त राष्ट्र संघ बाल शिक्षा अधिकार अधिवेशन 1989 में हमने विश्व के तमाम बच्चों को कुछ अधिकार देने की वैश्विक घोषणा पत्र पर दस्तख़त किए थे। माना गया कि उन अधिकारों में विकास का अधिकार, सहभागिता का अधिकार, सुरक्षा का अधिकार, जीवन जीने का अधिकार प्रमुखता से शामिल किया गया। यदि इन घोषणाओं की रोशनी में उन बच्चों पर नजर डालें जो दिव्यांग या विशेष बच्चे हैं, तो जमीनी हक़ीकत हमें सोने न दे। हम ऐसे बच्चों के विकास के रास्ते में आने वाली अड़चनों को सामान्य बच्चों के तर्ज पर देखने, समझने की कोशिश करते हैं। यहीं से वे बच्चे हमारे सामान्य स्कूली शिक्षा की परिधि से बाहर होते चले जाते हैं। ‘‘तारे जमीन पर’’ फिल्म बड़ी ही शिद्दत से एक बच्चे के बहाने उन तमाम बच्चों की परेशानियों को उजागर करती है। उस स्कूल का प्रिंसिपल उन अन्य पिं्रसिपल से अगल नहीं सेचता वह भी निर्णय लेता है कि इस बच्चे के विशेष स्कूल में डाल देना चाहिए आदि। जबकि शैक्षिक नीतियां और तमाम फ्रेमवर्क वकालत करती हैं कि दिव्यांग बच्चों को महज उनके किसी ख़ास दिव्यांगता की वजह से शिक्षा के सामान्यधारा से विलगाना अनुचित है। उन्हें भी सामान्य स्कूलों में सामान्य बच्चों के साथ तालीम हासिल करने का अधिकार है। इन्हीं तर्कां की रोशनी में माना गया कि सामान्य स्कूलों को इन बच्चों के पहुंच के अनुरूप तमाम सुविधाएं मुहैया कराना नागर समाज की जिम्मेदारी और जवाबदेही बनती है। दूसरे शब्दों में कहें तो लाइब्रेरी, शौचालय का नल, वॉश बेशीन, टोटी, सीढ़ियां आदि पहुंच में होने चाहिए ताकि बच्चे अपनी आयु, वर्ग के अनुसार स्कूल की अन्य सुविधाओं के इस्तमाल में किसी औरे के सहारे के मुंहताज़ न रहें। किन्तु हक़ीकतन यह कहते हुए अफ्सोस ही होता है कि जो सुविधाएं स्कूल प्रशासन और शिक्षा विभाग को प्रदान करने थे उसमें हम अभी भी काफी पीछे हैं। ऐसे बच्चे चाहकर भी स्कूल के विभिन्न साधनों का प्रयोग अपने लिए नहीं कर पाते। उन्हें यह सुना दिया जाता है बच्चे तुम नीचे ही रहा करो। ऊपर चढ़ना तुम्हारे लिए आसान नहीं है।

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