यह एक ऐसा मंच है जहां आप उपेक्षित शिक्षा, बच्चे और शिक्षा को केंद्र में देख-पढ़ सकते हैं। अपनी राय बेधड़ यहां साझा कर सकते हैं। बेहिचक, बेधड़क।
Thursday, March 31, 2011
खेल का उन्माद या उन्माद का खेल भारत पाक खेल
भारत पाक के सेमी फिनाल मैच के दौरान समस्त भारत दीवाना हो गया। दिल्ली सरकार को आधे दिन की छुट्टी करनी पड़ी। साथ ही निजी काम्पिनी को भी आधे दिन के बाद स्तर गिरना पड़ा। दूसरी और कई मंत्रालय, कार्यालय में पुरे दिन काम थप रहा। आर्थिक हानि के साथ ही बाज़ार तक पर असर दिखा। यह खेल क्या है उन्माद ही तो जगाता है।
Saturday, March 19, 2011
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शिक्षकीय दुनिया की कहानी के पात्र
कौशलेंद्र प्रपन्न ‘‘ इक्कीस साल के बाद पहली बार किसी कार्यशाला में बैठा हूं। बहुत अच्छा लग रहा है। वरना तो जी ...
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कादंबनी के अक्टूबर 2014 के अंक में समीक्षा पढ़ सकते हैं कौशलेंद्र प्रपन्न ‘नागार्जुन का रचना संसार’, ‘कविता की संवेदना’, ‘आलोचना का स्व...
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प्राथमिक स्तर पर जिन चुनौतियों से शिक्षक दो चार होते हैं वे न केवल भाषायी छटाओं, बरतने और व्याकरणिक कोटियों की होती हैं बल्कि भाषा को ब...
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कौशलेंद्र प्रपन्न सदन में तकरीबन साठ से अस्सी जोड़ी आंखें टकटकी लगाए सुन रही थीं। सुन नहीं रही थी बल्कि रोए जा रही थी। रोने पर उन्हें शर...