Sunday, December 16, 2018

बलिहारी सरकार आपने स्कूल बंद कराए...



कौशलेंद्र प्रपन्न
कमाल है सरकार आपका भी। स्कूल बंद करा कर उस जगह पर अपना भव्य कार्यालय बना डाला। उस पर तुर्रा यह कि अन्य सरकारी स्कूलों को भी बंद करने का भरमान ज़ारी कर चुके हैं। वे सरकारी स्कूल और उन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे किन और कहां स्कूल जाएंगे इसकी ख़बर तक नहीं ली। कहने को तो आपने कहा कि फलां फलां पड़ोस के स्कूल में उन्हें मर्ज कर दिया जाएगा। तब तलक तो ठीक लेकिन आपने यह तर्क देकर तो दिल बाग बाग कर दिया कि उन जगहों पर पार्किंग बनाई जाएगी। क्योंकि इन स्कूलों में बच्चे कम हैं। बच्चों को कैसे इन स्कूलों में लाए जाएं इसकी सूध लेनी आपकी प्राथमिकता नहीं थी। आपकी पहली प्राथमिकता था स्कूल करो बंद और खोला जाए दुधारू पार्किंग। इन स्कूलों से मिलता ही क्या है? ऊपर से शिक्षकों का वेतन, टेंशन लेना अलग से।
नई दिल्ली नगर निगम ने नवंबर में इन तरह कई सरकारी स्कूलों को बंद कर दिए। यहां पार्किंग की योजना पर काम जारी आहे। हाल ही में पुरानी दिल्ली के एक अत्यंत पुराने स्कूल जिसका इतिहास 1948 से जुड़ा है। वहां कौ़मी स्कूल को बंद कर सराय ख़लील इलाके में खुले इस कौ़मी स्कूल को 1976 में तोड़कर यहां ईदगाह स्थानांतरिक कर दिया गया। लेकिन स्कूल में तालीम भी दिए जाए का काम चल रहा था। इस स्कूल को कायदे से संरक्षित भी रखे जाने की आवश्यकता था। लेकिन सरकार आपकी नज़र तो कहीं और थी।
आपने इसी शहर में सरकारी स्कूल की जमीन हथिया कर वहां भव्य कार्यालय खड़ी कर दी। अब इस स्कूल पर आपकी नज़र है। राज्य सरकार ने 4000 वर्गमीटर की जमीन मांगी थी ताकि इस स्कूल को बचाया जा सके और इसे बेहतर बुनियादी सुविधा मुहैया कराई जाए। लेकिन आपसे यह भी न हो सका। जितनी जमीन देने की हांमी भरी वह सीबीएससी के मांपदंड़ों पर ख़रा नहीं उतरता।
ये कौन सी और किस स्कूल में पाठ पढ़े हो सरकार !!! स्कूलों को बंद करने से आपके कौन से निहितार्थ सधते हैं यह तो हमें नहीं मालूम, लेकिन इतना तय है कि सरकारी स्कूलों पर ह़क कहीं न कहीं आम जनता की है। आम बच्चों की है। उन बच्चों को सरकारी स्कूल पर अधिकार है। अधिकार है बच्चों को शिक्षा हासिल करने का। 

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