Sunday, December 9, 2018

कभी चुनाव विशेषज्ञ तो कभी ज्योतिषाचार्य





कौशलेंद्र प्रपन्न
हमने अपना बचपन और युवावस्था में चुनाव से पूर्व और चुनाव के बाद विश्लेषकों में योगेंद्र यादव को टीवी पर देखा है। इनका विश्लेषण कई मतर्बा आंखें खोलने वाली हुआ करती थीं। जो विश्लेषण और भविष्यवाणियों की जाती थीं परिणाम तकरीबन आस-पास ही होती थीं। इन विश्लेषणों में मंजे हुए पत्रकार भी शामिल होते थे। जिन्हें चुनावी पंड़ित के नाम से जाने थे। इनमें राहुल देव, दीनानाथ मिश्र, सुरेंद्र प्रताप सिंह, राजकिशोर, प्रभाष जोशी आदि। जैसे जैसे मीडिया की प्रतिबद्धता बदलती चली गई वैसे वैसे ये पत्रकार भी बिलाते चले गए। मुंखापेक्षी विश्लेषणों का दौर चल पड़ा।
इन दिनों कई राज्यों में चुनावी मौसम है। इस मौसम में कई तरह की दुकाने सजाए कई लोग बैठे हैं। इनमें मीडिया तो है ही साथ ही ज्योतिषियों की भी दुकाने ंचल पड़ी हैं। इन दुकानों में इन दिनों क्या बेचा जा रहा है? कभी भी न्यूज चैनल खोल लें। दो ही किस्म की बहसें सुनने और देखने को मिलेंगी। पहला सड़क छाप और स्वघोषित चुनाव विश्लेषक और दूसरे ज्योतिषशास्त्री। अंक ज्योतिष, फलित ज्योतिष नक्षत्र, ग्रहों को पढ़ने वाले।
जो आम जनता को नहीं पढ़ पाता वही शायद इन अंक ज्योतिषियों की शरण में जाया करते हैं। आज की घटना है कई न्यूज चैनल बाबाओं को बैठा कर उनसे दो ही पार्टी की जन्मकुंडली बांचने में झोंक रहे हैं। इन सभी ज्योतिषियों की मानें तो भाजपा को सूर्य, राहु, आदि सभी दशाएं ठीक हैं। मूलांक 8, 13, आदि आदि हैं। जो सत्ता, शासन सुख प्रदान करने वाली हैं। वहीं कांग्रेस के मूलांक, फलित ज्योतिष बताते हैं कि इनकी सत्ता से दूरी रहेगी आदि।
है न कमाल की चुनावी और समाजो-सत्ताई विश्लेषण। आप को यकीन हो जाएगा कि कौन जीतने वाले हैं। किस की सत्ता पर ताजपोशी होने वाली है। इन बाबाओं से कोई पूछे कि क्या आपने कभी समाजशास्त्र, चुनाव को मनोविज्ञान, चुनाव को अर्थशास्त्र या फिर मानवीय रूझानों को अध्ययन किया है। भला हो ऐसे विश्लेषकों और ऐसे दर्शकों को जो बड़ी ही चाव से इन्हें देख और परायण कर रहे हैं। 

1 comment:

Unknown said...

Kya kahenge Murkhon ko

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