Tuesday, June 26, 2012

सवाल शिक्षक के निराले
शिक्षा का अधिकार कानून 2009 पर दो दिन दे कार्यशाला में प्रक्षिशन देते हुवे शिक्षक वर्ग से जिस तरह के सवाल आ रहे थे उसे सुन कर अनुमान लगाया जा सकता है कि  यह वर्ग सिर्फ बुनियादी कमियों को रोना रो कर अपनी जिमेदारी से पल्ला झड़ना बेहतर जनता है. पंखा नहीं है, लाइट नहीं है, बच्चे नहीं है, आदि सवाल  तो पूछे गए लेकिन  इक  लड़की ने पुचा आप शिक्षक  व् स्कूल  इतना रोचक  लुभावन  क्यों  नहीं   की बच्चे  भागे च्च्ले आयें. इस सवाल पर शिक्षक  व् शिक्षाक्य वर्ग  टूट पड़े .  आज के बच्चे  पीढ़ी का वामन करने लगे.
जब विद्यालय प्रबंधन समिति के काम व् जिमेद्दारी पर सत्र शुरू हुवा तो सबसे पहले इसका विरोध इसी वर्ग ने किया. ये अनपढ़ , ना समझ  हमें बताएँगे स्कूल कैसे चलाना है? बह्हल ,  शिक्षकों को   सकारात्मक  ढंग  से शिक्षा का अधिकार कानून  को समझना और पढना होगा. जब यह वर्ग  साथ  देगा और अपनी सहभागिता  देगा तभी 2015 सब पढ़े सब सब स्कूल  जायगे का सपना पूरा हो सकेगा.                  

शिक्षकीय दुनिया की कहानी के पात्र

कौशलेंद्र प्रपन्न ‘‘ इक्कीस साल के बाद पहली बार किसी कार्यशाला में बैठा हूं। बहुत अच्छा लग रहा है। वरना तो जी ...