Tuesday, December 4, 2018

दम तोड़त रिश्ते


कौशलेंद्र प्रपन्न
कुछ रिश्ते राह में दम तोड़ देते हैं। कहते हैं हम रिश्ते बनाया करते हैं। पूरी शिद्दत से उसे निभाने और बचाने की कोशिश करते हैं। लेकिन कुछ तो बीच राह में घट जाता है जिसकी वजह से वे रिश्ते कभी भी कहीं भी दम तोड़ सकते हैं। संभव है रिश्ते के टूटने व टूट जाने के पीछे कई वजहें रहा करती होंगी। साथ ही जब हम कुछ अनुमान से ज़्यादा उम्मींदें लगा बैठते हैं तब भी रिश्ते उस बोझ तले धीरे धीरे घूट घूट कर पिघलने लगते हैं और एक दिन वे रिश्ते पानी बन हमारे बीच से बह जाया करते हैं।
समाज ही है जहां हम अपने आस-पास के लोगों से रिश्ते बनाया करते हैं। और वही समाज होता है जहां हम कई बार अनजाने में रिश्तों को टूटने के कगार पर ला खढ़ा करता हैं। वजहें बहुत सी हैं लेकिन जो महत्वपूर्ण बात है वह यह है कि हम शायद रिश्तों का कद्र करना नहीं जानते। एक व्यक्ति दूसरे पर जान छिड़का करता है लेकिन वहीं दूसरे को इसका एहसास तक न हो तो कोई कब तक एक तरफा रिश्ते को बांधने में लगा रहेगा।
एक तो आज कल रिश्तों में लोग विश्वास नहीं किया करते। उस पर तुर्रा यह है कि रिश्तों की नजाकत को हम उठा नहीं पाते। कब कौन बीच राह में मुंह सुजाकर अपने राह हो ले। कुछ भी तय नहीं कहा जा सकता। बस कुछ किया जा सकता है तो बस इतना ही कि अपनी ओर से टूटते रिश्तों को कैसे भी बचाया जाए।

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