Wednesday, January 31, 2018

लाल बत्ती की मौजू बात...




कौशलेंद्र प्रपन्न
रोज़ आप लोगों को अपनी कहानी या और की कहानी या फिर लेख पढ़ाकर तंग ही किया करता हूं। सोचा आज आपसे कहूं कि आप ही तो हैं जिनसे अपनी पूरे दिन की बात कहा करता हूं। आप भी नहीं सुनेंगे तो फिर मुझे मौन होना होगा।
सो आज एक कहानी सुनाता हूं। यह कहानी है लाल बत्ती की। हम सब रोज़ ही इस बत्ती को देखा करते हैं और आगे बढ़ जाते हैं। या फिर कुछ पल रूकते हैं।
एक दिन लाल बत्ती सोचने लगी रोज़ मैं यही खड़ी रहा करती हूं। मेरे आगे सभी रूकते और चले जाते हैं। मैं कहीं नहीं जाती। मैं भी घूमने जाउंगी।
और सुबह लाल बत्ती अपनी जगह से उठ कर पहले समंदर के किनारे गई। समंदर बत्ती की ख़ैरमखदम करने के बाद पूछा ‘‘ तुम यहां कैसे?’’ ‘‘तुम तो वहां सड़क पर हुआ करती हो।’’ तब लाल बत्ती ने जवाब दिया ‘‘रोज़ दिन एक ही काम करते करते और खड़े खड़े थक गई सोचा घूम कर आउं। रोज़ एक ही काम।’’
लाल बत्ती समंदर किनारे खड़े लाइट हाउस को देखा जो हमेशा वहीं खड़ा हुआ करता है। उसने भी पूछा ‘‘अरे तुम यहां?’’ लाल बत्ती का जवाब वही था। उसने समझाया ‘‘बहन अगर मैं अपना रोज़ का काम नहीं करूंगा तो जहाज अपने रास्ते भूल जाएंगे?’’ सो मैं रोज़ अपना काम करता हूं।
फिर लाल बत्ती लेटर बॉक्स को देखती है।लेटर बॉक्स ने भी वही सवाल किया।जवाब भी लाल बत्ती की वही थी। लेटर बॉक्स ने कहा ‘‘ बहन मैं रोज़ हज़ारों लोगों की ख़्वाहिशें पहुंचाया करता हूं। कल को मैं चला जाउं तो लोग चिट्ठयां कहां डालेंगे?’’ मुझे तो अपने काम में मज़ा आता है।’’
अब लाल बत्ती एक पुराने दरख़्त को देखती है।दरख़्त ने भी उससे वही सवाल किया।लाल बत्ती का जवाब भी पुराना ही था। ‘‘मैं थक चुकी हूं। रोज़ रोज़ एक काम करके।’’
बूढ़े दरख़्त ने कहा ‘‘बहन मैं तो सदियों से यहीं खडा हूं। बटोहियों, राहगिरों को छाया देता हूं। मुझे बहुत सकून मिलता है।जब कोई राही मेरी छाया में बैठकर सुस्ताता है।’’
लाल बत्ती ने सभी की कहानी सुनी। बातें सुनीं और उसे महसूस हुआ कि रोज़ अपने जिम्मेदारी और काम करने में कोई हर्ज़ नहीं। सब तो कर रहे हैं। पेड़, लेटर बॉक्स, समंदर का किनारा, लाइट हाउस सभी तो रोज़ अपना तय काम करते हैं। और लाल बत्ती लौट आई। देखती हैकि सडक पर अफरा तफरी है।चारों ओर भीड़ ही भीड़। बच्चे रोड़ नहीं पार कर पा रहे हैं।गाड़ियां टस से मस नहीं हो रही हैं। आज सुबह से शहर परेशान है।और लाल बत्ती चुपचाप जाकर अपनी जगह पर खडी हो गई।
मैं भी रोज़ लिखकर आप लोगों को पढ़ाया करता हूं। लेकिन लाल बत्ती की तरह भागूंगा नहीं। आप पढ़ें न पढ़ें। कम से कम आपके मोबाइल में दिखता तो रहूंगा रोज़ हर रोज़।

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