Monday, January 29, 2018

शिक्षा के चेहरे पर 168 तमाचा है



कौशलेंद्र प्रपन्न
हाल ही में मध्य प्रदेश के नवोदय विद्यालय में होमवर्क नहीं करने पर शिक्षक के आदेश पर सहपाठी ने बच्ची को 168 बार तमाचा मारा। यह तमाचा एक बार नहीं मारा गया। बल्कि इस अदायगी को एक सप्ताह में पूरा दिया जाना था।
कभी तमाचा कभी छड़ी, कभी उठा बैठक, कभी छड़ी से बच्चे को इतना मारना कि हाथ ही टूट जाए, बत्तख की चांच में सही रंग न भर पाने में कान क पास तमाचा इस कदर रशीद करना कि बहरा हो जाए आदि ऐसी घटनाएं हैं जो देखने में मामूली सी हों। लेकिन यह तमाचा दरअसल शिक्षा के चेहरे पर है।
आखि़र क्योंकर कोई शिक्षक ऐसे बरताव करना है? कब करता है? और किन हालात में हाथ उठाता है इस गंभीरता से सोचने की आवश्यकता है। क्या हमारी शिक्षक-प्रशिक्षण में कहीं कमी रह गई? क्या हमसे कहीं शिक्षक के चुनाव में चूक हो गए। आख़िर कहां हमने भूल कर रहे हैं।
यह तथ्य कई बार सामने आ चुका है। बल्कि कृष्ण कुमार ने हाल ही में आउटलुक और इंडियन एक्सप्रेस में लेख के ज़रिए अपनी बात रखी है कि शिक्षक शिक्षण को अंतिम विकल्प के तौर पर चुनते हैं। ऐसे में वो प्रतिबद्धत नहीं आ पाती जो शिक्षकों से अपेक्षा की जाती है।
शिक्षक की सामाजिक स्थिति, पहचान और प्रतिष्ठा तो दांव पर लगा ही है साथ ही इन्होंने अपनी विश्वसनीयता भी खोई है। कितना अच्छा होता कि शिक्षक संवेदनशीलता और जिम्मेदारी से कक्षा में बरताव करते। हालांकि इस हक़ीकत से भी नहीं भाग सकते कि इसी दिल्ली में प्राथमिक शिक्षकों को तीन तीन माह पर सैलरी मिला करती है। कैसे चलते होंगे उनके खर्चे। कभी नहीं सोचा। एक शिक्षक किन मानसिक दबावों में स्कूल में शिक्षण कर रहा है यदि इसे भी ध्यान में रखें तो शिक्षक हिंसक और खतरनाक नहीं बल्कि एक निरीह सा दिखाई देगा। हालांकि कई शिक्षक मित्रों को इस शब्द पर एतराज़ हो सकता है क्योंकि मैंने निरीह कहा। जबकि सच्चाई यही है। जब से सैलरी बेस्ट टीचर हुए हमारे शिक्षकों की पहचान कम होती चली गई।
लेकिन आज भी हम ऐसे शिक्षकों की तारीफ करते हैं। सम्मान करते हैं जो अपनी कक्षाओं में शिद्दत से पढ़ाते हैं। जो कहीं भी मिल जाएं हम उन्हें नमस्कार करते हैं। नमस्कार से ज़्यादा मन सम्मान में ठहर जाता है।

शिक्षकीय दुनिया की कहानी के पात्र

कौशलेंद्र प्रपन्न ‘‘ इक्कीस साल के बाद पहली बार किसी कार्यशाला में बैठा हूं। बहुत अच्छा लग रहा है। वरना तो जी ...