Thursday, May 17, 2018

यूं चले जाना




मैथिली शरण गुप्त अपनी प्रसिद्ध काव्य रचना में यशोधरा की मन की बात लिखते हैं, जब गौतम बुद्ध बिना बताए रातों रात अपने बच्चे और पत्नी को छोड़ कर प्रस्थान कर जाते हैं। यशोधरा कहती है, सखी वे मुझसे कह कर जाते....जो तुम एक बार कहते हैं मैं क्षत्राणी स्वयं आरती उतार कर तुम्हें विदा करती। लेकिन तुम बिन बताए, बिना कहे, चोरों की तरह चले गए। यदि इस काव्य रचना को पढ़ें तो जीवन और व्यहार की कई सारी मानवीय संवेदना की परते खुलती चली जाती हैं। यदि हम अपने आस-पास नज़र डालें तो पाएंगे कि कई सारे लोग ऐसे होते हैं जो बिना बताए रातों रात शहर, कस्बे, कंपनी, दफ्तर आदि से दूर चले जाते हैं। वजहें कई हो सकती हैंं। उन्होंने क्यों नहीं बताया, मन में क्या था? आदि ऐसी गांठें हैं जिन्हें वे स्वयं ही खोल सकते थे। मगर अब वो हमारे बीच नहीं रहा करते। लेकिन कंपनी के एचआर और अधिकारी को सब मालूम होता है। क्यों कोई व्यक्ति रातों रात चला गया। या जाने को कहा गया। यह जाने और कहने पर जाने में बहुत बारीक अंतर है। जिसे ठहर कर समझने और महसूसने पर जाने के पीछे की कहानी समझ में आती है। जो भी हो जाने वाले के लिए हमेशा ही एक साफ्ट कॉरनर होता है। होना भी चाहिए। क्योंकि कौन, किस पस्थिति में गया। इसका सही सही भूगोल और निहितार्थ की परतें वही खोल सकता था। 
यदि समाज में देखें तो रेज़दिन हज़ारों की नौकरियां लगा करती हैं और हज़ारों के लिए रिटायरमेंट का दिन भी होता है। अवकाश प्राप्ति के दिन सरकारी नौकरियों में तो नियुक्ति के दिन ही तय कर दिए जाते हैं। व्यक्ति को मालूम होता है कि किस दिन, किस तारीख को उसे नौकरी से मुक्ति मिलेगी। लेकिन निजी कंपनियों की नौकरी में ज्वाइंनिंग और रिटायरमेंट की कोई तारीख़ पहले से मुकरर्र नहीं होती। निजी कंपनियों,संस्थानों आदि में सरकारी रिटायरमेंट की आयु सीमा से बाहर जाकर लोगों को हायर और फायर भी किया जाता है। हायर और फायर की प्रक्रिया में डिग्री, अनुभव उम्र से ज़्यादा यह देखी जाती है कि किस व्यक्ति में नई चुनौतियों को स्वीकार करने, उसे दुरूस्त करने, टीम को सही दिशा में मार्गदर्शन प्रदान करने और कंपनी या संस्था को नई ऊंचाई तक ले जाने की क्षमता और दक्षता है या नहीं। वह व्यक्ति उम्र में छोटा या बड़ा भी हो सकता है। सिर्फ इस बात को तवज्जो दी जाती है कि किसमें दूर दृष्टि, रणनीति बनाने, एक्जीक्यूट करने और प्रोजेक्ट को सफल बनाने की क्षमता और प्रवीणता है। 
हमारे बीच से कई बार ऐसे लोग, ऐसी रिश्ते नदारत हो जाते हैं जैसे वे कभी हमारे कंसर्न एरिया में थे ही नहीं। गोया वो रिश्ता हमारे लिए एक सिरे से गायब हो गया। जैसे वो कभी हमारे बीच था ही नहीं। लेकिन कोई भी व्यक्ति या रिश्ते अचानक यूं ही हमारे बीच से खत्म नहीं हो जाते। बल्कि दूर जाने, भूल जाने की प्रक्रिया दो स्तरों पर चल रही होती हैं। एक अंतर और दूसरा बाह्य। अंतर जगत में क्या चल रहा है इसका अनुमान लगाना ज़रा कठिन है। क्योंकि हर किसी की अपनी अंतर दुनिया हैं जहां वो निपट अकेला होता है। कोई रिश्तेदार, भाई-बहन, दोस्त कोई भी साथ नहीं होता। उसे ख़ ुद ही निर्णय लेने होते हैं। उन निर्णयों के लिए खुद ही जिम्मेदार होना होता है। बस रिश्तेदार या भाई-बहन महज राय दे सकते हैं किन्तु उसका ख़मियाज़ा व्यक्ति को स्वयं ही भुगतना पड़ता है। वहीं दूसरी ओर बाह्य स्तर पर जिस प्रकार की गतिविधियां चलती हैं उसका तो कभी कभी अनुमान लगाना कठिन नहीं है। लेकिन बाह्य परिस्थितियां कई बार हमारी ही भूलों, चूकों, ख़ामियों से भी संचालित होती हैं। जिसे नियंत्रण में लाया तो जा सकता है लेकिन ज़रा कठिन है। क्योंकि हम अपने कंफर्ट जोन से बाहर नहीं आना चाहते। हम अपनी पूर्वग्रह को बरकरार ही रखना चाहते हैं। दूसरे शब्दों में, हम अपनी कार्य शैली, सोच, विजन में रद्दो बदल के लिए तैयार नहीं होते। 
कंपनी व्यक्ति से नहीं बल्कि मिशन और विज़न से चला करती है। कई बार कंपनी व्यक्ति से और व्यक्ति कंपनी से पहचाना जाता है। वह इसलिए क्योंकि नेता (मैनेजर, निदेशक आदि) हमेशा अपनी स्पष्टता और चिंतन की व्यापकता के आधार पर व्यक्तिगत जीवन और कर्म क्षेत्र में सफल हो पाता है। महज़ फ़र्ज कीजिए यदि नेता स्वयं ही उलझा हो, विचार और दिशा की स्पष्टता ही नहीं है तो वह हमेशा ही दिग्भ्रमित दिखाई देगा और औरों को भी भ्रम में रखेगा। इसका ख़मियाजा कंपनी या फिर कई बार परिवार, दोस्तों आदि को भुगतना होता है। 

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