Wednesday, January 9, 2019

सीख ली तुम्हारी भाषा


कौशलेंद्र प्रपन्न
सीख ली मैंने भी तुम्हारी भाषा। तुम्हारी ही जबान अब मैं भी बोल सकता हूं। बोल सकता हूं तुम्हारी ही तरह कई तरह के जुमले। कई तरह की ख़ास शब्दावलियां भी अब मेरे पास आ गई हैं। आ गई हैं वो कौशल जिसमें तुम मुझसे आगे थी। आगे थी तुम्हारी गति और तुम्हारी स्वीकार्यता। इन्हीं भाषाओं के आधार पर ही तो तुम मुझे नीचा दिखाया करती थी। तुम्हीं क्यों मैनेजमेंट भी सोचती थी कि तुम्हारे पास वो लैंग्वेज नहीं है जिससे पीपुल मैनेजमेंट में यूज की जाती है। वो भाषा नहीं है जिसमें हम लोग काम किया करते हैं। और तुम्हीं हो जिसके पास वो भाषा नहीं है।
मैंने भी कोशिश की कि तुम्हारी भाषा बोलने और लिखने लगूं। तुम्हारे पास वो भाषा है जिसमें मैनेजमेंट काम किया करता है। जिस भाषा में दुनिया काम किया करती है। मैंने कोशिश की कि मैं भी वो भाषा सीख लूं जिसमें वो लोग काम करते हैं।
तुम्हारी भाषा में जब से बोलने लगा हूं तब से तुम्हें भी ऐसा लगने लगा है ये तो मेरी भाषा सीख में बातें करने लगा है। ये तो वो तमाम शो कॉल्ड मैनेजमेंट के टर्मस हैं। ये कैसे हुआ? ये भी जब हमारी भाषा में बोलने और लिखने लगेगा तो गजब है। जबकि भाषा पर किसी का एकाधिकार नहीं होता है। जो भी प्रयास और अभ्यास करेगा उसे भाषायी कौशल तो हासिल होंगी ही। मेरी लिखी भाषा पर तुम्हें ताज्जूब हुआ कि ये कैसे मेरी भाषा लिख सकता है? कब इसने सीखी हमारी भाषा।
जो भी हो भाषा हो या कोई अन्य दक्षता अभ्यास से अर्जित कर सकते हैं। सीख सकते हैं दुनिया की कोई भी भाषा बस जज्बे और अभ्यास, लगन और प्रयास जरूरी है। आप किस भाषा में बोल और लिख रहे हैं आज की तारीख़ में सभी की नज़र रहती है। जैसे ही आप उनकी बनाई पूर्वग्रह को तोड़ते हैं वैसे ही महसूस होता है कि ये क्या हुआ? क्या इसने भी हमारी भाषा को बरतना सीख लिया क्या। जबकि दुनिया की हर भाषा हमारी है और हम उस भाषा के हैं।

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