Monday, January 28, 2019

माफ कर दें लेकिन भूल न जाएं




माफ कर दें लेकिन भूल न जाएं
कौशलेंद्र प्रपन्न
अंग्रेजी का वाक्य है ‘‘फोरगिव नॉट फोरगेट’’ कुछ ऐसी अनुभूति है जिससे हमसब हमेशा ही गाहे बगाहे जीया या सहा करते हैं। कोई आपको आपकी ही नज़रों से सामने से आपको नज़रअंदाज़ कर जाता है। और आप मुंह उठाए देखते रह जाते हैं। कोई जो आपको बेहद जानकार हो और सामने से आपको देखे भी नहीं और नज़रें भी न मिलाए तो आपको कैसा लगेगा? शायद आप ख़्यालों में डूबने लगें। ऐसा क्यों हुआ? क्यों ऐसा किया? क्या वजह रही होगी इस व्यहार के पीछे आदि आदि। सवालों में हम और आप जूझने लगते हैं। यह जानने और समझने के लिए कि ऐसा व्यवहार अपेक्षित नहीं है।
आप क्या करते हैं कुछ घंटे, कुछ दिन तो याद रख पाते हैं फिर सबकुछ भूल कर उन्हीं बीच हंसी ठिठोली करने लग जाते हैं। वह जिसने आपको नज़रअंदाज़ किया। वह तो इस गुमान हो रहता है उसने आपको इग्नोर किया। किन्तु वो भूल जाते हैं कि आपने उसे माफ कर दिया। उनकी नजर में आप निहायत ही इमोशनल फूल हैं। आप समझते नहीं। हालांकि कहा जाता है कि जो माफ कर देता है वह बड़ा होता है। शायद माफ करने में आपका बड़क्कपन का आंका जाता है। लेकिन कब तक माफ करेंगे और वो कब तक आपको नज़रअंदाज़ करते रहेंगे।
यह खेल बड़ा ही दिलचस्प है। कभी यार दोस्त इग्नोर किया करते हैं तो कभी आपके वरीष्ठ। दोनों ही किस्म के लोग होंगे जो आपको नीचा साबित करने में लगे रहते हैंं। उन्हें कब तक आप माफ करेंगे। और कब तक उन्हें भूलते रहेंगे। कभी तो आपको उत्तर देना होगा। कभी तो उन्हें एहसास कराना होगा कि आप सब कुछ समझ रहें हैं।
जब उन्हें ज़रूरत पड़ती है तब आपसे बढ़कर प्रिये कोई और नहीं। संचार के तमाम माध्यमों से आपसे संपर्क करते ज़रा भी नहीं हिचकते। लेकिन जब आप संपर्क करना चाहें तो तमाम बहानों के पहाड़ खड़ा कर दिया जाएगा। उनके तर्कां पर मरा न जाए तो क्या किया जाए।
माफ कर दीजिए लेकिन भूलें नहीं। जिसने भी आपको ठेस पहुंचाया है। वह जो भी हो जैसा भी हो। भूलें नहीं। माफ बेशक कर दें। लेकिन एक सीमा है इसे पार करते ही आपको बताना होगा कि आप सब समझते हैं। माफ किया है भूले नहीं हैं। वक़्त बेहतर जवाब देगा।

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