Wednesday, January 30, 2019

डरा हुआ व्यक्ति


कौशलेंद्र प्रपन्न
डरा हुआ आदमी क्या करता है? क्या कर सकता है? और क्या नहीं कर सकता। बेहद मौजू सवाल हैं। सवाल नहीं साहब बल्कि हक़ीकत है। डरा हुआ आदमी क्या नहीं कर सकता है। वह सब कुछ कर सकता है सब किसी पर भी विश्वास नहीं कर सकता। हर आवाज़ पर डर सकता है। किसी भी किस्म की आहट पर चौक सकता है। रात बिरात उठ सकता है। बैठे बैठे आंखों में पूरी रात काट सकता है। डर के घेरे में वह पानी पीना भी छोड़ दे। खाना भी धरा का धरा रह जाए।
डर हुआ आदमी कुछ भी कर सकता है। हर किसी को संदेह की नज़र से देख सकता है। देख सकता है कि कौन उसके साथ है और कौन उसके विपक्ष में खड़ा है। डरा हुआ आदमी छिपकली से डर सकता है और रास्ते चलते घबरा सकता है एसी में बैठकर भी पसीने से तर ब तर हो सकता है।
डरा हुआ व्यक्ति अब लिख रहा हूं कि इसमें दोनों ही लिंग शामिल हैं। डरा हुआ व्यक्ति हर वक़्त खुद को बचाना चाहता है। इस बचाव की स्थिति में वह किसी से भी मदद के लिए गुहार लगा सकता है। बेशक उसे सहायता मिले या निराशा। लेकिन वह भरपूर प्रयास करता है कोई तो हो जो उसे निर्भय कर सके।
आज की तारीख़ी हक़ीकत यह है कि डराने वाले ज्यादा मिलेंगे। बजाय कि कैसे बचा जाए और क्या रास्ते हो सकते हैं ताकि आप बच सकें। इसपर चर्चा और समाधान की ओर प्रेरित करने वाले कम। इसमें सब कोई शामिल हो सकते हैं।
हमें कभी समय निकाल कर एक ऐसी सूची वर्गीकृत करनी चाहिए जिसमें हम स्पष्ट लिखें कि हमें किस किस और किन किन से डर लगता है। जब हम ऐसी कोई सूची बना लेंगे तब हमें इससे बचने या निकलने के रास्ते और रणनीति बनाने में आसानी होगी। बजाय की डरते रहें और जीते रहें। फर्ज कीजिए आपको डर लगता है कि अगले साल शायद ही आपको कंपनी जॉब में रखेगी। इस डर में पूरा साल गुजार दें। या फिर डर डर कर रोज जीया करें। हमें अपने उन क्षेत्रों और एरिया पर काम करना होगा जिनकी वजह से कंपनी आपकी दक्षता पर सवाल खड़ी कर सकती है या की है। यदि समय रहते हमने अपने प्लान ऑफ एक्शन में निराकरण या जिसे टू डूज में शामिल कर लें तो इस डर से निज़ात मिल सकती है। लेकिन होता इससे बिल्कुल विपरीत है। हम स्वयं तो डरे ही होते हैं साथ ही अन्यों को भी डराया करते हैं आपनी कहानी सुनाकर। जो डरा नहीं है। जिसे डर नहीं है उसे भी आपकी कहानी सुन कर डर लगने लगता है।
डरना अच्छी बात हो सकती है। लेकिन उस डर से कैसे निपटा जाए उसके लिए सचेत होकर रणनीति बनानी होगी। फिर कोई वजह नहीं कि हम डर में जीया करें।

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