Monday, April 2, 2018

टीचर रिटायर नहीं होते



कौशलेंद्र प्रपन्न
टीचिंग और टीचर ऐसे प्रोफेशन से जुड़े कर्मी होते हैं जो कभी रिटायर नहीं होते। उनके लिए कभी भी 31 मार्च या किसी भी माह की अंतिम तारीख अवकाश के लिए मुकरर्र नहीं होती। यूं तो सरकारी दस्तावेज़ में उनके लिए अवकाश प्राप्ति के दिन तय होते हैं। और बतौर दस्तावेज़ वे स्कूल से सेवामुक्त हो जाते हैं लेकिन सचपूछें तो शिक्षक कभी भी कार्यमुक्त नहीं होता। शर्त इतनी सी है कि यदि वह शिक्षक अपने जीवन में महज नौकरी के तौर पर अध्यापन न किया हो। ऐसे शिक्षक बेशक संख्या में कम हों लेकिन जिन्होंने शिक्षण में आनंद लिया हो। बच्चों से संवाद किया हो। जिनके लिए शिक्षण महज़ पाठ्यपुस्तक, पाठ्यक्रम पूरा कराने भर तक महदूद नहीं रहा वे कभी भी शिक्षण से मुक्त न होते हैं और न ही हो पाते हैं। वे वास्तव में दिल से शिक्षक होते हैं। उनके लिए स्कूल घर सा होता है जहां वे समय से पहले आते हैं और समय के बाद ही घर जाया करते हैं। पूरी जिं़दगी ऐसे शिक्षक पूरी शिद्दत से बच्चों से संवाद करने में विश्वास करते हैं। शिक्षा के मूल दर्शन संवाद और प्रतिवाद से बच्चों में चिंतन दक्षता और वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने में कभी भी चूक नहीं करते। बेशक श्ज्ञिखा व्यवस्था में ऐसे शिक्षकों को उतना मान-सम्मान न मिलता हो। लेकिन शिक्षा विभाग के बाहर बच्चों और अभिभावकों में उन्हें भरपूर सम्मान और मुहब्बत मिला करता है। शायद इन्हीं शक्तियां के बदौलत ऐसे शिक्षा पूरी ऊर्जा और ताकत के साथ शिक्षण किया करते हैं। ऐेसे शिक्षक न तो कभी मरा करते हैं और न ही स्वयं मरते हैं। इस प्रकार के शिक्षक शिक्षण को न केवल इन्ज्वाय किया करते हैं बल्कि बच्चों को किताबें पढ़ाने की बज़ाए जीवन के संघर्षां और वास्तविक समझ दिया करते हैं। बच्चों को जीवन में किस ओर और दिशा में बढ़ना चाहिए उस ओर भी राय दिखाया करते हैं। इस तरह के शिक्षक पढ़ाने की बज़ाए संवाद करने, कहने और सवाल करने की कला और माद्दा विकसित किया करते हैं।

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