Monday, April 16, 2018

कॉपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व और शिक्षा



कौशलेंद्र प्रपन्न
शिक्षा के क्षेत्र में सरकार की मदद के लिए नागर समाज आगे आ चुका है। इनमें सरकारी और गैर सरकारी संस्थाएं बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रही हैं। क्योंकि सरकार शिक्षा में बेहतर स्थिति पैदा करने के लिए तत्पर है। लेकिन अफ्सोस कि सरकारी तंत्र एक सीमा के बाद असहाय हो जाती है। इसे ऐसे समझ सकते हैं कि सरकार ही है जिसने 1990, 2000 में विभिन्न वैश्विक मंचों पर स्वीकार कर चुकी हैं कि हम प्राथमिक शिक्षा में विश्व बैंक और नागर समाज की मदद चाहते हैं। इसी का परिणाम है कि आज हमारे देश में सर्व शिक्षा अभियान, राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान आदि अन्य संस्थानां की मदद से सरकारी स्कूलों में अपना योगदान दे रहे हैं। किन्तु जमीनी हक़ीकत यह है कि ये तमाम योजनाएं स्कूली शिक्षा में गुणवत्ता लाने में काफी नहीं हैं। यही कारण है सरकार को कॉपोरेट व कंपनी जो मुनाफा कमाती हैं। उनके लिए सामाजिक उत्तरदायित्व में काम करने के लिए कानून बना कर आमंत्रित किया गया। यही वज़हें हैं कि आज की तारीख़ में देश में विभिन्न कंपनियां कॉपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व के तहत स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार आदि के क्षेत्र में काम कर रहे हैं।
टेक महिन्द्रा फाउंडेशन पिछले तकरीबन दस सालों से देश के विभिन्न राज्यों में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में काम कर रहा है। चेन्नई,मुंबई, हैदराबाद, दिल्ली, भुवनेश्वर, कोलकोता आदि जगहों पर इन सर्विस टीचर एजूकेशन इंस्टीट्यूट चला रही है। दिल्ली में पूर्वी दिल्ली नगर निगम के साथ मिलकर इन सर्विस टीचर एजूकेशन इंस्टीट्यूट की स्थापना 2013 में की गई। इस संस्थान ने पिछले पांच वर्षों में तकरीबन 6888 शिक्षकों की विभिन्न विषयों में प्रशिक्षण दे चुकी है। साथ ही निगम के स्कूलां में कार्यरत प्रधानाचार्यां की भी ट्रेनिंग संस्थान कर में संपन्न हुआ है। इसी दिल्ली में स्मार्ट हेल्थ केयर एकेडमी भी टेक महिन्द्रा फाउंडेशन के द्वारा स्थापित किया जा चुका है। जहां से बच्चे अस्पतालां में सहायक, डेटा रिकार्ड, ऑपरेशन थिएटर सहायक आदि के कोर्स करने के बाद विभिन्न अस्पतालों में रोजगार पा चुके हैं।

दरअसल शिक्षा की बेहतरी के लिए देशभर में भरपूर काम हो रहे हैं। कमी यही रह जा रही है कि जो लोग व संस्थान प्राथमिक शिक्षा में शिक्षकों के साथ मिल कर काम कर रहे हैं उन्हें न तो कोई पहचान पाते हैं और न ही उनकी मेहनत को रेखांकित किया जाता है। टेक महिन्द्रा फाउंडेशन के साथ मिल पुणे में ग्राममंगल, हैदराबाद में साहित्या ट्रस्ट, टीस आर ध्वनि बंगलुरू में, नवनिर्मिति और सेव द चिल्ड्रेन इंडिया मुंबई आदि स्थानीय प्रशासन से मिल कर सरकारी स्कूलों में शिक्षकों, बच्चों के साथ स्कूलां में काम कर रहे हैं।
वर्तमान सरकार लगातार कौशल विकास पर जोर दे रही है। वह कौशल विकास न केवल बच्चों और  युवाओं भर के लिए है। बल्कि टीचर की भी दक्षता विकास करना बेहतर ज़रूरी है। यही कारण है कि दिल्ली में मिशन बुनियाद, बच्चों में पढ़ने की दक्षता विकास, टीचर की प्रोफेशन डेवलप्मेंट को लेकर गंभीरता से काम हो रहा है। हो भी क्यों न तमाम रिपोर्ट, नेशनल एचिवमेंट रिपोर्ट, डाइस, जीईएमआर आदि बताती हैं कि हमारे बच्चे साधारण से वाक्य तक नहीं पढ़ पाते। गणित के सामान्य के जोड़ घटाव नहीं कर पाते। ऐसी स्थिति में टीचर के साथ कंटेंट पर काम करने की बज़ाए कैसे पढ़ाएं पर काम करने की आवश्यकता है।

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