Thursday, April 26, 2018

इतिहास की यात्रा में सावधानियां


कौशलेंद्र प्रपन्न
इतिहास केवल समाज, देश,काल का ही नहीं होता बल्कि इंसानों का भी होता है। हम अपने इतिहास से कितना भी दूर भाग लें या फिर भागने की कोशिश करें इतिहास हमारा पीछा किया करता है। इतिहास भी तो एक कहानी सी ही है। इसमें तारीख़ें होती हैं। तारीख़ के साथ कुछ घटनाएं होती हैं। उन घटनाओं में कोई पात्र भी तो होता है। हमें उस पात्र से मुहब्बत हो जाती है ज बवह पात्र हंसता है तो हंसते हैं। जब वह रोता है तो देखने वाला रोता है। इंसानों के साथ भी ऐसे पात्र हमेशा ही चला करते हैं। कई बार कुछ पात्र इतने वाचाल हो जाते हैं कि हमारे लिए ही मुश्किलें पैदा हो जाती हैं।
हमारे साथ यही तो एक ख़ास बात है कि हमें इतिहास और अतीत बेहद प्यारा होता है। जब देखो तब हम अपने अतीत को लेकर बैठ जाते हैं। आज की चुनौतियों को कल के औजार से ठीक करने की कोशिश करते हैं। जबकि ऐसा संभव नहीं है। अतीत की घटनाएं, भूलें आज के संदर्भ में एकदम नए आयाम में आती हैं। उनसे उलझने व बाहर आने के औजार भी नए होने चाहिए। लेकिन अफ्सोस कि हम पुराने औजारां से आज की चुनौतियों का समाधान करना चाहते हैं।
इतिहास ख़ासकर इंसानों के साथ हमेशा ही दो तरीके से साथ रहा है। पहला जिसमें हम गौरवान्वित महसूस करते हैं। उसी अतीतीय संवेदना में जीना चाहते हैं। उसे बाहर निकालना ही नहीं चाहते। इसी का परिणाम होता है कि हमारे जीवन के मुहावरे, घटनाएं, कहानियां भी एक ही होने लगती हैं। सुनने वाला कहता है कि फलां कहानी तो आपने तब सुनाई थी। अगर कोई और कहानी हो तो सुनाओ। पक चुके हैं आपकी एक ही कहानी सुन सुन कर। यह अकसर बच्चे अपने मां-बाप या दादा दादी को बोल दिया करते हैं। क्योंकि उनके पास कहने का नया कुछ बचा नहीं होता। अपने ही अतीत को बार बार कुरेद कर आनंद लिया करते हैं।
जब तब कहानी में रोचकता और नयापन न हो तब तक कोई भी सुनने वाला आपमें दिलचस्पी नहीं लेगा। इतिहास भी कुछ कुछ ऐसा ही है। यदि इतिहास का आज की तारीख़ में बता रहे हैं तो पुरानी घटनाओं को आज किस रूप में हमें देखने और सीखने की आवश्यकता है इसपर सोचना होगा। लेकिन हम ऐसा ही नहीं करते। जब हम युवा थे। कॉलेज में पढ़ा करते थे तब कह कहानियां हम अपने बच्चों को साझा किया करते हैं। अपने संघर्षों की कहानी से हमें तो रागात्मक संबंध हो सकता है कि लेकिन सुनने वाले को वही दिलचस्पी हो ऐसी उम्मीद नहीं कर सकते।
इतिहास दरसअल हमें तत्कालीन चुनौतियों,समाजो-सांस्कृतिक हलचलों, परिवर्तनों के बारे में न केवल जानकारी मुहैया कराया करती है। बल्कि हमें आज कैसे वैसी घटनाओं व परिस्थितियों से सामना करना चाहिए इसकी समझ प्रदान करता है। इतिहास व अतीत गमन कोई बुरा नहीं है बल्कि हम कैसे इतिहास में जाकर वहां से सकुशल लौटते हैं यह कुशलता हमें सीखने की ज़रूरत है। इतिहास व अतीतीय यात्रा जितना आसान माना जाता है वह उतना ही कठिन काम भी है। क्योंकि अतीती यात्रा के साथ एक दिक्कत यह है कि हमें अतीत बेहद रोचक लगने लगता है और हम वहीं रहना चाहते हैं। जबकि कायदे से देखा जाए तो जिस प्रकार एक यात्रा अपनी यात्रा से लौट आने के लिए करता है। यदि राहगीर या यात्री रास्ते में या फिर यात्रा में अटक जाएगा तो वह आगे की यात्राएं नहीं कर पाएगा। इतिहास में भी यही होता है हम चले तो आसानी से जाते हैं लेकिन वापसी के लिए चौकन्ने रहना पड़ता है। हमें हमेशा यह याद रखना होता है कि यात्रा के बाद हमें वर्तमान में लौटना भी है। आज की तारीख़ी हक़ीकत को नज़रअंदाज़ करना इतिहास हमें नहीं सीखाता बल्कि इतिहास वह रोशनी प्रदान करता है जिससे हम आज और आने वाले समय का बेहतर बना सकते हैं।

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