Friday, December 29, 2017

बाल साहित्य कोई न ख़बर लेवनहार



कौशलेंद्र प्रपन्न
वर्ष अपने अंतिम चरण में है। वयस्कों के साहित्य की समीक्षा की जा रही है। इस वर्ष कविता,कहानी, उपन्यास आदि विधाओं में कौन कौन सी किताबें प्रमुख रहीं।
हाल ही में पत्रकार व लेखक पंकज चतुर्वेदी जी ने पूछा कि बाल किताबों के नाम, कवर पेज और प्रकाशक लेखक सहित सूचित करें। यह एक बड़ा सवाल और उलझन पैदा करने वाला था। मैंने इस वर्ष की प्रमुख बाल किताबों की सूची बनाने में सफल नहीं रहा। थक हार कर कुछ बाल पत्रिकाओं के नाम तो गिना सका लेकिन किताबों के नाम नहीं बता सका।
क्या यह मेरी व्यक्तिगत हार है? क्या यह मेरी निजी असफलता है कि मैं बाल किताबों की पहचान व सूची नहीं बना सका? मुझे लगता है कि पूरे वर्ष हम वयस्कों की किताबों पर तो भरपूर बल्कि कुछ ज़्यादा ही वक़्त दिया करते हैं। लेकिन जब बाल साहित्य की बात आती है वैसे ही वयस्क नदारत हो जाते हैं।
पिछले दिनों जब अख़बार और पत्रिका तलाश रहा था तब बाल साहित्य के नाम पर पारंपरिक कहानियां मिलीं। पिछले पांच - छह सालों से अख़बारों के साल के अंतिम हप्तों में साहित्य विश्लेषण देखता रहा हूं जिनमें कहानी,उपन्यास, कविता आदि की चर्चा खूब होती रही है। बस उपेक्षित तो बाल साहित्य रहा करता है।

1 comment:

Neha Goswami said...

सच में बाल साहित्य की उपेक्षा की जाती रही है।

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