Monday, December 11, 2017

ढाई साला बच्ची की आंखों में मोबाइल



कौशलेंद्र प्रपन्न
ढाई साला बच्ची ताबड़तोड़ मोबाइल में आंखें फोड़ रही थी। मां बगल में बैठी टीवी देख रही थी। स्थान डॉक्टर की क्लिनिक। टीवी पर कुछ ख़बर तैर रही थी। ख़बर अस्पताल की थी। मां अपना ज्ञान और जीके दुरूस्त कर रही थी। बच्ची अपनी इंटरनेटी गेम को।
बच्ची बिना सिर उठाए लगातार छोटे से स्क्रीन में आंखें धसाए आनंद ले रही थी। बीच बीच में आंखें उठाकर मां को देख लेती। मां टीवी में।
बच्ची काफी देर तक मोबाइल में व्यस्त रही। इसी बीच फोन आ गया तो मां को पकड़ा दी। लेकिन जैसे ही कॉल खत्म हुआ फिर मोबाइल में।
मैं इस पूरी घटना को देख और समझने की कोशिश कर रहा था। कि बच्ची क्या देख रही हैं? किस चीज में उसे आनंद आ रहा है। आदि
रहा नहीं गया। सो पूछ ही लिया उसकी मां से। वैसे अपरिचितों से बात न करें। ऐसी घोषणाएं ताकीद करती हैं। लेकिन मैंने वह जोखिम उठाई।
मां ने कहा, ‘‘यू ट्यूब पर गाने देख रही है।’’
‘‘देख लेती है। अपने पसंद की गीत और खेल खुद यू ट्यूब पर सर्च कर लेती है।’’
जिज्ञासा यहीं शांत नहीं हुई। पूछा, ‘‘यू ट्यूब तक कैसे पहुंचती है?’’
‘‘क्या आपके फोन में ही सर्च कर लेती है या किसी भी फोन में?’’
‘‘सर्च तो ये वाइस माइक से करती है। अभी लिख नहीं पाती न।’’
‘‘मेरी जिज्ञासा और बढ़ती गई। मैंने उनसे अनुमति मांगी क्या मैं अपना फोन उसे देकर सर्च करने को कह सकता हूं?’’
वो तैयार हो गईं। मैंने उस बच्ची को फोन दिया। उसने स्क्रीन को गौर देखा। फिर अंगुली से सरकाना शुरू किया। कुछ देर में यू ट्यूब के आइकन को डबल टच कर ओपन किया और माइक को टच कर बोला लकड़ी की काथी... तुतली आवाज में बोली और उसके सामने वह गीत हाज़िर।
ठीक इसी तरह की एक और घटना याद करूं तो दो साल का रहा होगा बच्चा। उसे मैंने पिछले एक घंटे से मोबाइल में आंखें फोड़ते देख दंग रह गया।उस पर तुर्रा यह कि मां-बाप यह बताते हुए अघाते नहीं कि उनका बच्चा मोबाइल ऑपरेट कर लेता है।हंसिए जनाब या रोइए। समझ नहीं आता।
एक मां ने जब अपनी बेटी को पापा के मोबाइल में अचानक अश्लील विडियो देखते हुए पाया तो उसका गुस्सा बाहर निकल ही पडा। चांटा और डांट दोनां एक साथ। लेकिन क्या गलती उस बच्ची की थी? वह तो तर्क करने लगी।
‘‘क्यों मारा ममॉ? उसमें छांप जैसा कुछ चल रहा था।’’ ‘‘एक दूसरे की बॉडी पर चढ़कर खेल रहे थे।’’
मां जवाब क्या दे?

4 comments:

Unknown said...

सही कहा आपने ! मोबाइल संस्कृति पैठ जमा चुकी है।

randhawa31 said...

Good blog sirji

BOLO TO SAHI... said...

शुक्रिया मेधा जी और भाई रविंद्र जी

randhawa31 said...

Mera blog blogger//randhawa31blogspot.in please guide

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