Thursday, August 3, 2017

घुरनी नंबरदार हो जाओ



कौशलेंद्र प्र्पन्न
घुरनी यह भी कितनी अच्छी बात है कि कोइ्र्र तुम्हें शर्मा, वर्मा, तनेजा, सिन्हा, मिश्रा,ठाकुर, चौहान आदि से नहीं पुकारेगा। न ही तुम्हारी पहचान तोमर, राणा से होगी। अभी तो तुम्हारी आवाज सुनते ही पूछ बैठते हैं आप उत्तराखंड़ से हैं? आप बिहार से हैं, या कि बंगाली लग रही हैं। और तुम्हें कितना ख़राब लगता है। जब सभी के सामने तुम्हारा नाम सुन कर जब यह पता नहीं चलता कि किस जाति की हो और लोग पूछते हैं सिर्फ घुरनी आगे आगे क्या? लोग जानना चाहते हैं तुम अपने नाम के पीछे क्या लगाती हो? तुम्हारे नाम,आवाज से लोग अनुमान लगाना चाहते हैं, जान लेना चाहते हैं कि तुम कहां से आती हो? उसपर काफी हद तक निर्भर करेगा कि वे लोग तुमसे कितना और किस तरह का रिश्ता रखें।
अच्छा ही हुआ तुमने अपना नाम बदल लिया। बल्कि तुमने तमाम संज्ञाओं को छोड़ संख्यावाची पहचान को चुना। संख्या की न कोई जाति होती है, न धर्म होता है, न राज्य और न ही क्षेत्र। वह तो महज नंबर होता है। तुमने तो सुना ही होगा एक एक्टर है 007 जेम्स बॉड। कितना अच्छा है ि कवह किस जाति का है पता ही नहीं चलता।
हमारे समाज में लोग नंबर से जाने जाएं जैसे 198031 जन्म वर्ष,और तारीख। इसका पैटर्न कुछ और भी हो सकता है। जैसे हम तारीख को महिना, दिन, और वर्ष से भी शुरू कर सकते हैं। पैटर्न छोड़ो घुरनी। वह तो बाद की बात है। पहले इस पर सहमत हो जाओ कि क्या नंबरदार बनना चाहती हो?
नंबरदार होने के बाद तुम्हारी पहचान होगी 0662000 समझ पा रही हो। 06 तारीख, 6 माह और 2000 वर्ष है। इसमें तुम्हारी भाषा, जाति, क्षेत्र सब की सम्मान तो हुआ ही साथ ही तुमसे कोई यह नहीं पूछेगा कि तुम्हारी जाति क्या है पार्टनर?
याद हो कि जेल में कैदियों के नाम नहीं होते। बल्कि उन्हें नंबरों से ही पहचाना जाता है। उन्हें नंबरों से ही पुकारा जाता है। जाति,वर्ग, धर्म विहीन जेल समाज में कितना अच्छा है कि सबकी पहचान नंबरां से हुआ करता है।

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