Thursday, August 17, 2017

प्याले मोदी चाचा


नमस्ते।
हम तो जा लहे हैं। कुछ तो चले गए, बचे हुए भी जल्द चले जाएंगे। आपकी दुनिया से। इक बात कहना चाहता हूं चाचा कि मेरे जाने के बाद हमरे माई बापू को पलेसान मती कीजिएगा। उन्होंने तो हमें अस्पताल पहुंचाया। प्याल कलते थे हमसे। उन्होंने नहीं माला। हमरे छोटे योगी चाचू को कहिएगा कि वो हमारे जाने के बाद हमारे घर में रोने मत जाएं। क्या है चाचा कि बढ़की आई उनको देख कर औरे रेने लगेगी।
मोदी चाचा! आपको भी नेहरू चाचा की तरह हमसे प्याल हैं न। जहां भी जाते हैं वहां बच्चों से जलूल मिलते हैं। हमको तो आप चचा ही लगते हैं। पकल बार दाढ़ी आपकी भी है और हमरे दादू के भी बार सन्न सफेद हो चुके हैं। तो मोदी चाचा हमरे जाने पर दो मिनट की चुप्पी मत रखिएगा स्कूलों में। क्योंकि न तो मेरा चेहरा आपको बंद आंखों में आएगा और न योगी चाचा ही हमरी माई के लोर पोछ पाएंगे।
अच्छा ही हुआ चचा कि हम अपनी उम्र जीने से पहिले आपके स्वच्छ भारत से चले गए। जीते तो जाने क्या से क्या और होते। शायद किसी भट्ठे पर या दुकान में काम कर कर के अपनी रीढ़ तोड़ रहा होता। कोई कैलाश अंकल को नोबल मिल भी मिल गया। हमरी कौन सुने चचा। जिंदा रहता तो स्कूल भी जाता। आपकी स्कील इंडिया प्लान को थोड़ा गंदला ही करता। हमरी तरह के और भी तो बच्चे हैं चचा जो स्कूल भी नहीं जाते। आप कहते हैं सात करोड़ से भी जियादा हैं। तो चचा हम मर के उस संख्या को थोड़ा कम ही तो किए।
चचा एक बात बोलूं सुनेंगे न? हमरी जिबह हुआ है। हम तो रहे नहीं जे बदला ले पाते। अब आप हमरी चचा हैं। योगी चचा भी हैं। उन्हें मत छोड़िएगा जिन्होंने हमरी जान से खिलवाड़ की है।
आपकी
कारूसाव
गांव बेल
ग्राम ओबरा

4 comments:

Meri ladli sarkar said...

बहुत खूब .... सर जी।

Unknown said...

Profound....!!Got goosebumps after reading it...Its ironical that people(our nation) get nobel in the name of children but even that can't change the plight of our
children

darpan mahesh said...

marmik hai.

Unknown said...

No words to express agony and sorrow of the family members. Deeply saddened. Hope the government will awake from it's deep slumber.

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