Monday, August 28, 2017

बाबा रे बाबा!!!!


ऐसो बाबा देखो रे देखो ऐसो बाबा कैसे उधम मचायो रे रे। अब कैसे ऐसे बाबाओं पर विश्वास किया जाए। जब कभी हमारे घर, गांव देहात में कोई बाबा देखे जाएं तो हम उन्हें एकबारगी अपने घर में न आने दें।
एक बाबा मेरे घर में आया करते थे। वो घर में सब के साथ प्रवचन दिया करते थे। हमें तब बहुत समझ में नहीं आता था। लेकिन यह समझते थे कि वो जब भी आते थे अपने साथ हमारे लिए टाफी लेकर आते थे। हमारे चेहरे पर खुशी दौड़ जाती थी।
अब तो लगता है कि हाल के सालों में बाबाओं के रंग रूप उभर कर सामने आए हैं सच्चे बाबाओं को शंका और शक का सामना करना होगा।
न्याय और कानून की गति बेशक धीमी हो सकती है लेकिन बाबाओं के संबंध में जिस प्रकार से कार्यवाही की गई है उससे आशा की किरण दिखाई देती है।

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