Tuesday, February 27, 2018

लिखने से पहले....



कौशलेंद्र प्रपन्न
लिखना कौन नहीं चाहता। हर कोई जिसके पास कहने को कुछ है वह लिख लेना चाहता है। इधर के कुछ सालों में लिखने वालों की एक बाढ़ सी आ गई है। बैंक, कंपनी की नौकरी छोड़ पूरी तरह से लिखने के क्षेत्र में भी उतर चुके हैं। जिन्हें कंपनी में अच्छी सैलरी मिल रही थी उन्हें नौकरी छोड़ लेखन क्षेत्र में  आने की क्या पड़ी थी? सोचिए तो कई कहानी निकल कर आएंगी। उन्हीं कहानियों में लिखने की छटपटाहटें सुनाई देंगी। इसलिए लेखन क्षेत्र में आए क्योंकि कभी वे स्कूल या कॉलेज के दिनों में लिखा करते थे लेकिन नौकरी में आने के बाद लिखने का वक़्त नहीं मिलता। आदि
जो भी लिखने का अपना कार्य क्षेत्र चुना वे यूं ही अचानक नहीं उठ कर नहीं आ गए। बल्कि इस क्षेत्र में उतरने से पहले एक ग्राउंड रिसर्च किया। रिसर्च के साथ ज़रूरतों की पहचान की। साथ यह भी रिसर्च किया कि किस प्रकार की ऑडिएंस यानी पाठक वर्ग है जो वास्तव में पढ़ना चाहता है। पाठक वर्ग किस प्रकार की राईटिंग पढ़ने में दिलचस्पी लेगी आदि। यदि कहानी उपन्यास आदि में रूचि है तो किस प्रकार की कहानी या उपन्यास पाठक पढ़ना चाहता है इसपर उन लेखकों ने अच्छे से रिसर्च किया और फिर कंटेट का चुनाव किया। उदाहरण मांगेंगे तो चेतन भगत, अमीश त्रिवेदी आदि ऐसे नाम हैं जिन्हें बेशक गंभीर साहित्यकार साहित्यकार न मानते हों लेकिन उनकी किताबें लाखों में पढ़ी और खरीदी जाती हैं। एक प्रकाशक और लेखक देनां को ही मुद्रा और प्रसिद्धी हासिल हो रही है।
अंग्रेजी में इस प्रकार के लेखन और लेखकों की राइटिंग 2000 के आस पास शुरू होती है। और देखते ही देखते इनके नाम और किताबें पाठकों को खूब भाने लगीं। देखते ही देखते हिन्दी साहित्य में भी कुछ लेखक जो पहले से लिख तो रहे थे किन्तु बिना मार्केट रिसर्च किए लिखा करते थे। जिसका परिणाम यह हुआ कि सीमित पाठक वर्ग तक उनकी पहुंच रही। इश्क में शहर होना, प्यार कोई ब्रेकिंग न्यूज नहीं, पतनशील पत्नीयों के नोट्य आदि किताबें 2015 के बाद आई और पाठकों को खूब भाने लगीं। अब के नए लेखक नए नए कथानक और प्रस्तुती के आधार पर ख़ासा चर्चा में हैं।
लेखन से पूर्व रिसर्च और अध्ययन बेहद ज़रूरी चीजों में से एक है। अभ्यास कई बार आपको लेखक बना देता है। लेकिन अभ्यास भर से आप लेखन में ज़्यादा देर तक नहीं रह सकते। आपको खड़े रहने के लिए कंटेंट और कंटेंट की प्रस्तुती पर भी ठहर कर काम करना होता है। तब आपको बाजार हाथों हाथ उठाता है।
आप किसके लिए लिख रहे हैं? क्यों लिख रहे हैं? अपने लेखन से क्या हासिल करना चाहते हैं इन बिंदुओं पर रिसर्च करना बेहद ज़रूरी है वरना लिख कर अपने लैपटॉप या काग़ज़ का पेट ही भरेंगे और एक मुगालता ज़रूर पाल लेंगे कि आप लिखते हैं। यदि आप लिख रहे हैं तो उसका एक पाठक वर्ग भी जहां उस लेखन को पहुंचाना है। लिखना जितना आसान है उतना ही कठिन भी राह है। क्योंकि कुछ भी लिख देने से वे न तो छपती हैं और न ही पढ़ी जाती हैं। बल्कि पठनीय लिखने के लिए लेखकीय प्रतिबद्धता की भी मांग की जाती है।
यदि अख़बार, पत्रिका, जर्नल के लिए लिखना चाहते हैं तो पहले अपने उस टार्गेट अख़बार व पत्रिका को बारीकी से रिसर्च करें कि उसकी प्रकृति कैसी है? किस प्रकार की सामग्री छपती हैं? कहां आप लिख सकते हैं आदि। यदि आप पत्रिका या अख़बार की प्रकृति के अनुरूप लिखते हैं तब छपने की भी संभावनाएं ज़्यादा हो जाती हैं।
बाकी छपने के लिए लिखना ज़रूरी है और लिखने के लिए छपना दोनों एक दूसरे के पूरक हैं।

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