Wednesday, September 20, 2017

आरम्भिक पठन विकास में बाल साहित्य की भूमिका : श्री पंकज चतुर्वेदी





शिक्षांतर व्याख्यान माला

कौशलेंद्र प्रपन्न
श्री पंकज जी ने कहा कि बाल साहित्य के जरिए हम बच्चों में न केवल भाषायी दक्षता का विकास कर सकते हैं बल्कि बच्चों में खत्म होती संवेदना को भी बचा सकते हैं।
किताबों की व्यापक भूमिका को रेखांकित करते हुए पंकज जी ने कहा कि किताबें दरअसल बच्चों में कल्पनाशीलता और सृजनात्मकता को बढ़ावा देने वाली होती हैं।
विभिन्न भाषाओं में उपलब्ध कथा कहानियों और लोक कथाओं में जिंदा रखने में कहानियां अहम भूमिका निभाती हैं।
एनबीटी से प्रकाशित बाल किताबों के जरिए श्री पंकज जी ने बच्चों में कैसे कहानी सुनाइ्र्र जाए और कहानी सुनने और पढ़ने के प्रति रूचि विकसित की जाए इसपर भी जोर दिया।

1 comment:

Pallavi Sharma said...

Yes ,we should encourage reading habits through bal sahitya .

शिक्षकीय दुनिया की कहानी के पात्र

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