Friday, July 28, 2017

ज्ञान के स्रोत मत बताना घुरनी!!!



कौशलेंद्र प्रपन्न
घुमरनी आपने ज्ञान के स्रोत मत बताना। मारी जाओगी तुम। कोई अपनी उम्र बताता है? कोई अपनी कमाई भी तो नहीं बताता। तुम ठहरी गंवार सब कुछ बता देती हो। जो भी मुंह, मन में होता है सभी के सामने बताने लगती हो। कहां से सूचना मिली। कहां से जानकारी मिली। कहां तुमने सुना पढा। सब कुछ बिना दुराव छुपाव के बता देती हो। हर कोई यही समझता है मूरख जो ठहरी। कोई अपनी कमाई के स्रोत बताता है ? कोई ज्ञान के स्रोत डिस्क्लोज करता है?
ऋषि मुनि, तपस्वी सब के सब मूर्ख ही तो थे जिन्हांने अपनी जीवन भर की ज्ञान,बोध कमाई आम लोगों में यूं ही बांट दी। आज के जमाने में कोई बिना मांगे कुछ लेता देता है? सोचो घुरनी गाली भी केई नहीं देता। न ही लेता है।
एक तुम हो कि जो पढ़ती हो, सुनती हो, समझ बताती हो उसे सब के साथ शेयर करती हो। मैंने फलां फलां किताब पढ़ी। तुम भी पढ़ो। अरे घुरनी कितनी नासमझ हो। नादान भी उतनी ही हो। कोई क्यों सुने तुम्हारी बात। क्यों कोई तुम्हारा ज्ञान ले। तुमने पढ़ा तो पढ़ा। सबकी अपनी प्राथमिकताएं हैं। सब की अपनी सीमाएं हैं।
लोग जब यह कह देते हैं कि अपना ज्ञान अपने पास रख। तब मुंह फुला लेती हो। बुरा लगता है। और कुछ दिन चुप भी हो जाती हो। फिर वही हाल। कब सुधरोगी धुरनी। एक दिन ऐसा भी आएगा जब लोग तुम्हें देख कर रास्ते बदल लेंगे। कहेंगे ज्ञान देवी देवता आ रहे हैं। भाग मिल्खा भाग !!!
आज लोग अपनी उम्र, जाति, कास्ट, स्टेट, सब कुछ तो छुपाते हैं। एक तुम ही हो कि ज्ञान के स्रोत भी सब के साथ बांटती रहती हो। ऐसा भी कोई करता है? कितनी भोली और नासमझ हो घुरनी। कब सुधरोगी। अपने ज्ञान और ज्ञान के स्रोत किसी से भी शेयर नहीं करते। जैसे लोग अपनी पूंजी साझा नहीं करते।
लेकिन तुम ठहरी भोली की भोली ही। तुमने क्या पढ़ा? उससे तुम्हारी क्या समझ बनी। उससे तुम्हारे जानने वालों, हम पेशा लोगों का क्या लेना देना। उसपर तुम ज्ञान के स्रोत और ज्ञान देने लगती हो। आज किसे पड़ी है ज्ञान से। ज्ञान भी धन और अज्ञान के आगे पानी भरती है। नासमझ घुरनी संभल जा वरना किसी दिन...

4 comments:

Unknown said...

सीख सखी वरना किसी दिन...
बढ़िया लिखा आपने

Unknown said...
This comment has been removed by the author.
Unknown said...

Baat to sahi hai Kaushal ji parantu sab log is chaturya ke saath janm hi nahin lete. Lekh achcha hai.

Seema Sharma said...

Bahut khub likha Kaushlendra

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