Saturday, February 23, 2019

सेवाकालीन शिक्षकों के राष्ट्रीय कार्यशालायी संबोधन के सूत्र



कौशलेंद्र प्रपन्न
पिछलों दो दिनों में दो विभिन्न राष्ट्रीय स्तर के शिक्षा-शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों में सेवाकालीन शिक्षकां को संबोधित करने का अवसर मिला। वास्तव में उन शिक्षकों से मिलकर अभिभूत हूं तो कुछ चकित भी हूं। पहली मुलाकात केंद्रीय शिक्षा संस्थान, शिक्षा विभाग दिल्ली विश्वविद्यालय में शिक्षा-शिक्षक- प्रशिक्षक के व्यावसायिक दक्षता विकास कार्यशाला में बतौर विशेषज्ञ अपनी बात रखने का अवसर मिला। इस सत्र में एनजीओ, सीएसआर एवं सरकारी तंत्रों के प्रमुखों ने हिस्सा लिया। इसमें महसूस हुआ कि शिक्षक पढ़ने-लिखने से अभी दूर उतने नहीं हुए हैं जितना अन्य स्रोतों से समाज में ख़बरें नकारात्मक फैलाई जाती रही हैं। इनमें पीएचडी के छात्र भी उपस्थित थे। सबसे दिलचस्प बात यह कि अकादमिक क्षेत्र में लगे हुए शोधार्थी को बाहरी यानी सेवाकालीन शिक्षकों की भौगोलिक, कार्यस्थलों की हक़ीकतों की ख़बरें थोड़े कम मालूम हैं। अभी भी संस्थान में सिर्फ जॉन डिवी, हंटर कमिशन, कोठारी आयोग की तारीखें, सुझावों की परतें खोल रहे हैं। उन्हें उसके बाद की समितियों, वैश्विक प्रतिबद्धताओं, दबावों, जोमेटियन, डकार आदि की घोषणाएं और एसडीजी की घोषणाएं और निहितार्थ अभी परेशान नहीं करतीं। जबकि करनी चाहिए।
दूसरा अवसर सांस्कृतिक एवं स्रोत शिक्षण केंद्र में बतौर मुख्य अतिथि अपनी बात रखने का अवसर मिला। बीस दिवसीय सेवाकालीन शिक्षक प्रशिक्षण कार्यशाला का मकसद देश के विभिन्न राज्यों के शिक्षकों को कला, संस्कृति, संगीत, ऐतिहासिक इमारतों, नाटक आदि को कैसे अपने मुख्य विषय के साथ शामिल कर शिक्षण की जाए, ऐसी समझ उनमें विकसित की जाए। इन बीस शिक्षकों में सबसे ज्यादा प्रतिभागी जम्मू और कश्मीर से थे। हिमाचल से एक और महाराष्ट्र से आठ, बंगाल, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड़, आंध्र प्रदेश आदि राज्यों से आए थे।
कुछ लोगों के अपने अपने अनुभव भी साझा किए। हैरानी हो सकती है कि इन बीस दिनों में अधिकांश गैर हिन्दी भाषी प्रतिभागियों ने अपनी बात हिन्दी में रखी। क्या तेलंगाना, आंध्र प्रदेश सब की जबान हिन्दी बोल रही थी। वहीं हिन्दी भाषायी राज्यों से आए प्रतिभागियों ने अपने अनुभव साझा किए कि इन बीस दिनों में हमने उनकी जबाव भी सीखी। इनमें सीसीआरटी की भूमिका को नजरअंदाज नहीं कर सकते।
सीसीआरटी के प्रांगण में आयोजित इस कार्यशाला में जितनी भी चीजें हुइंर् उन्हें क्या शिक्षक अपनी कक्षाओं में करेंगे या नहीं इसे देखने-समझने के लिए सीसीआरटी रिपोर्ट भी तैयार करेगी।
मैंने यहां अच्छा शिक्षक कैसे श्रेष्ठ शिक्षक बन सकता है, इसपर बल दिया। इस बात पर भी ध्यान खींचने की कोशिश की कि अपने शिक्षण, पढ़ने-पढ़ाने का मकसद और रणनीति तैयार करें ताकि आपका मकसद साकार हो सके। 

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