Tuesday, July 31, 2018

गले लगने से पहले


कौशलेंद्र प्रपन्न
गले पड़ना। गले मिलना। गले से नीचे नहीं उतरना। गले की हड्डी बन जाना। गले का हार होना। आदि कई मुहावरे हमने सुने और सुनाए हैं। इनके मायने से भी हम बख़ूबी वाकिफ हैं। इनमें से एक है गले मिलना। गले मिलना यानी किसी को बहुत प्यार और विश्वास से गले लगाते हैं। दोनों ही पक्ष सम होते हैं। किसी भी कोण से देख लिया जाए तो शायद हम उसी के गले मिलते हैं जिन्हें अपना मानते और स्वीकारते हैं। लेकिन हम कई बार भूल जाते हैं कि जिसे गले लगा रहे हैं या जिसके गले लग रहे हैं क्या वो भी आपको उसी शिद्दत से स्वीकार कर रहा है या कहीं आप उसके गले तो नहीं पड़ रहे हैं। वो किसी भी तरह अपसे पीछा छुटाना चाहता है। वो चाहता है कि आपकी इस हरक्कत को सरेआम कोई और न मायने निकाल ले।
अगर ठहर कर देखा और समझा जाए तो गले मिलना और गले पड़ना में कोई ख़ास अंतर नहीं है। जब आप किसी की इच्छा का सम्मान करते हुए उसे गले लगाते हैं या आप उनके गले लगते हैं तब स्थिति बिल्कुल अलग होती है। वहीं यदि सामने वाले की इच्छा और मनसा को समझे बगैर गले लग रहे हैं तब गले पड़ना कहलाएगा।
कई बार आवेश में आकर वह चाहे भावनात्मक हो या फिर संवेदनात्मक वह किसी भी किस्म की भावना हो सकती है किसी को गले लगाते हैं तो यह भूल जाते हैं कि सामने वाला आपको किस नज़र से देख रहा है। क्या वह भी आपक गले लगना चाहता है या हमज़ लोकलाज में पड़कर आपसे लगे लगा। बाद में इस छोटी सी बात को कई दृष्टिकोण से व्याख्या की जाएगी इसके लिए आपको तैयार रहना चाहिए।
कहते हैं हमें अपनी औक़ात और समाज में स्थान को हमेशा याद रखना चाहिए। हम कहां से आते हैं, हमारी सामाजिक पहचान क्या है और किस पद पर हैं आदि ख़ासा मायने रखते हैं जब हम समाज में कोई रिश्ता बनाते हैं। जब हम किसी को गले लगाते हैं। बेशक आपका मकसद साफ और स्पष्ट हो। आपके मन में कोई गंदलापन नहीं है। लेकिन आपके मन की सुनता कौन है। कोई क्यों आपके मन में चलने वाले भावदशाओं को समझने में अपना समय ख़राब करेगा। उसे तो यही लगता है कि यह व्यक्ति कोई ज़्यादा ही अपनापा दिखा रहा है। कोई ख़ास बात होगी। या फिर कुछ ज़्याद नजदीक आने की कोशिश कर रहा है।
समाज में रिश्ते हमस्तर और हमपद के साथ ज़्यादा बना करते हैं। यह आज की भी तारीख़ी हक़ीकत है कि हम अपने और अपनों के जैसों के बीच ही सहज हुआ करते हैं। कुछ देर के लिए जब हम अपनी हैसियत भूल कर ऊपर वाले को गले लगा कर या लग कर एहतराम करते हैं तब सामने वाले के लिए यह समझना ज़रूरी हो जाता है कि इसके गले मिलने का क्या मकसद हो सकता है। यह गले ही क्यों मिला करता है। हाथ भी तो मिला सकता है।

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