Sunday, July 29, 2018

बकरी ने लड़की से कहा...तब से ख़ामोश हैं!!!




बकरी की पहचान छुपाते हुए उसकी प्रतीकात्मक तस्वीर दी गई है

कौशलेंद्र प्रपन्न
बकरी की मुलाकात लड़की से हो गई। लड़की ग़मज़दा थी। ख़ामोश भी थी। लेकिन उसकी ख़ामोशी को तोड़ते हुए बकरी ने कहा ‘‘ जो हाल तोर सो हाल मोर...’’।
बात यहीं नहीं रूकी। रूकती भी कैसे? मसला था भी कुछ ज़्यादा ही अमानवीय। बकरी ने रोते हुए कहा ‘‘ ये लड़की माना कि तेरे साथ भी चार चार लड़कों ने...’’
‘‘मगर तू तो इंसान की बच्ची है। तेरे साथ जो हुआ उसके लिए तेरे यहां कानून भी है।’’ ‘‘मेरी सोच ज़रा!’’
‘‘मैं किस अदालत में जाऊं? कहां गुहार लगाऊं? कौन किला को फाड़ेगा? न राजा, न बड़ही, न रानी कोई भी तो मेरे लिए आगे नहीं आएगा।’’
‘‘एक बात बताना लड़की तेरे लिए तो कैंडल मार्च लोग कर लेंगे। करेंगे’’
‘‘मेरी प्रजाति तो अनपढ़, गंवार ठहरी। हमें तो अच्छी चिकनी चुपड़ी भाषा में गिटपिट भी करना नहीं आता। कौन सुनेंगा हमारी बात?’’
लड़की बहुत देर तक सुनती रही। उसके गालों पर जो आंसू थे वे सूख चुके थे। जल्दी से उसने अपने आंसू पोंछे और आवाज़ ठीक करते हुए बोली-
‘‘चिंता मत कर बहन, हम दोनों की ही हालत एक सी है।’’
‘‘तू भी भोगी जा सकती है। और हम भी। बस अंतर इतना ही है कि तू बोल नहीं सकती। और हम बोलकर भी बेज़बान हैं।’’
‘‘विश्वास कर मैं तेरे लिए आवाज़ उठाऊंगी।’’
‘‘तेरा केस अलग है।’’
‘‘तू प्रेग्नेंट भी थी उसपर आठ लोगों ने तेरी इज़्जत लूटी।’’
...बकरी और लड़की दोनों ख़ामोश हैं...

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