Tuesday, August 7, 2018

जानता हूं ग़लत है मगर...



कौशलेंद्र प्रपन्न
महाभारत का सशक्त पात्र दुर्योधन की पंक्ति याद कीजिए जानामि च धर्मं न च मे प्रवृतिः। जानामि न अधर्मम् न च मे निवृतिः।
धर्म क्या है मैं जानता हूं। लेकिन उसमें मेरी कोई गति नहीं है। अधर्म क्या है मैं यह भी जानता हूं लेकिन उससे मेरी निवृति नहीं है। यानी दूर नहीं हो सकता।
यही स्थिति आज सोशल मीडिया के लत की है। हम सभी जानते हैं और मान भी रहे हैं कि सोशल मीडिया हमारा कितना बहुमूल्य समय यूं ही खा जाता है और हम उफ्््!!! तक नहीं करते। हम जानते हैं कि सोशल मीडिया के कारण ही कई सारे लोगों के रिश्तों में दरारें भी आ गईं।
पति-पत्नी, दोस्तों के बीच के रिश्ते भी इससे प्रभावित हो रहे हैं। यदि आपने दूसरों की पोस्ट, स्टेटस लाइक नहीं की। आपके कमेंट नहीं किया। तो समझिए आपका दोस्त मुंह फुला लेगा। फलां को तो इतने लाइक मिलते हैं। फल्नी के पोस्ट पर तो आपने ऐसा लिखा, वैसे लिखा आदि।
कई सारी जटाएं हैं इस सोशल मीडिया के। वह ट्वीटर, वॉट्स एप, लिंगडेन, इस्टाग्राम, फेसबुक आदि। इन्हीं चंगूलों में सोशल मीडिया हमें फांसा करती है। और हम धीरे धीरे इसके गिरफ्त में आते जाते हैं। हम कई बार मालूम ही नहीं होता। शौकीया इन मंचों पर आते हैं और जाने का नाम तक नहीं लेते।
बच्चे, प्रौढ़, वयस्क, छात्र, प्रोफेशनल सब इस हमाम में नंगे हैं। ऐसा कहूं तो बुरा न मान जाइएगा। क्योंकि यहां बेटा और बेटी, पत्नी और प्रेमिका सब अपने अपने छद्म नामों और चित्रों के ज़रिए मौजूद हैं। एक रूप पकड़े जाने पर तत्काल दूसरा रूप धारण कर लेते हैं।
दिक्कत तब ज़्यादा हो जाती है जब आपका आफिस व घर की बॉस आपकी तमामा सोशल मीडिया की गतिविधियों पर नज़र रखे और अचानक पूछ बैठे। तुम तो कह रहे थे घर में किसी की तबीयत ख़राब है। और आप तो फेसबुक, वाट्सएप, ट्वीटर पर उस वक़्त लाइव थे। कैसे कैसे... बोलिए। आप तो कह रहे थे मेरी मींटंग है मैं फोन नहीं उठा पाउंगा। लेकिन आप तो लगातार वाट्सएप पर सक्रिए थे। कैसे कैसे!!!!
इन्हीं सोशल मीडिया के चक्कर में कितने ही छात्रों की परीक्षा रसातल में चली गई। उन्हें अच्छे नंबर आने थे। उन्हें अच्छे कॉलेज में दाखिला लेना था। मगर किन्हीं सोशल मीडिया पर सक्रियता ने उनसे उनके सपने छीन लिए। कोई इन्हीं सोशल मीडिया की वजह से आत्महत्या तक करने पर मजबूर हो जाते हैं। इन्हें कैसे और किस रूप में बेहतर मानें। हालांकि विज्ञान को दोधारी तलवार किसी प्रसिद्दध कवि ने कहा है। ठीक वैसे ही सोशल मीडिया जहां एक ओर पलक झपकते आपको दूर देश तक में प्रसिद्धी के मचान पर चढ़ा देता है वही दूसरी ओर आपकी विश्वसनीयता को खतरे में डाल देता है।

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