Saturday, December 31, 2011

साल को सलाम

आदतें इतनी जल्दी नहीं बदलतीं . समय का दरकार और लगातार चेक मांगता है. वरना समान गलतियाँ हम दुहराते रहते हैं. परिणाम वाही धाक के तीन पात.
देश के साथ भी यही है. चाहे शिक्षा का अधिकार कानून हो या महिला कानून बिल अब इसी कतार में लोकपाल बिल भी खड़ा हो चुका है. इस के साथ क्या होगा यह आने वाले साल में कुंडली बाची जायेगी. जनता बेवकूफ बनती है और बनती रहेगी. जब तक की वो जागृत नहीं होती.
जागरण इतना आसान नहीं. सोने में जो आनंद मिलता है उसे तोड़ना आसान नहीं. लेकिन आवाज़ लगाना फ़र्ज़ है. अन्ना ने आवाज़ लगे अब देखना है देश की नींद कब टूटेगी.
आने वाला साल हम सब के लिए शुभ हो.
ऋग्वेद का मंत्र साझा करता हूँ-
सम्गाचाध्वम सम्वादावाम संवो मनांची जनानतम...
यानि हम साथ साथ चलें, सामान बोले और हमरी मनांचा सम हो.                  

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