Monday, December 26, 2011

जाने के बाद....

जाने के बाद....
हाँ जाने के बाद सब कुछ बदल जाएगा,
बिस्तर समेत कर दूसरी जगह रख दिया जाएगा,
आपके पीछे आधी लिखी चिट्ठी यूँ ही रद्दी बना दिया जाएगा.
आपके पन्ने यूँ ही फडफडाते रह जायेगे...
बस आप ही नहीं होगें,
उन पन्नों को सम्तेने को,
कोई उसे पढने की जहमत नहीं उठाएगा,
बस कबाड़ मान उठा कर बेच दिया जाएगा.
कोई इस कदर अचानक...
हमारे बीच से,
चला जाए तो कैसा लगता होगा?
शायद इक राहत की साँस,
की चलो चला गया,
खामखा बात काट कर ,
रखता था अपनी बात,
की बीच बहस में खुद पड़ता था,
ये तो बदिया हुवा,
उसके जाए के बाद,
मौक़ा तो मिला,
खुद को आगे बढाने को...
लोग आगे बढ़ने को क्या नहीं करते,
वो गया तो जाते जाते रह तो खाली कर गया....
पर सच है आज भी_
जाने वाला ,
जा कर भी जा नहीं पाता,
दूर हो कर भी होता है पास,
बेशक कटु अनुभव ही सची,
पर होता तो है...                      
     

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