Thursday, December 29, 2011

टटोलने के दो दिन या पूरा साल

महज दो दिन शेष रह गए हैं. दनादन अखबार अपने पन्नों के पेट भरने लगे हैं इस साल देश के लिए किस एरिया में क्या रहा? क्या प्रगति हुई और क्या और कहना चाहिए चुक कहाँ गए का विश्लेषण जारी है. साहित्य की हर विधा में महारथी रेखांकित करने में जुड़े हैं कविता, कहानी समीक्षा आदि में किस किताब को ज्यादा ताली मिली और किस किताब को समीक्षों की गाली मिली. पिछले पाच सालों में देख रहा हूँ , बच्चों की किताबें कब आइन कैसी आइन या अगर आप जानना चाहें की कहानी या उपन्यास बचूं के लिए किसने लिखी या उसका नाम क्या है यह विश्लेषण इक्सिरे से नदारत है.
हर किसी को इन दिनों देख सकते हैं जो मनन में लगे हैं की उनके लिए यह साल कैसा रहा? कहाँ चूक गए और कहाँ चप्पर्फाद मुनाफा हुवा. अगले साल के लिए कुछ खुद से वायेदे यह नहीं करूँगा, वह कटाई नहीं दुह्रावो  होगा आदि आदि.
साहिब खुद में झाकना इतना आसान नहीं. हम पहले दुसरे के गिरेबान में झांक कर देखते हैं वह कितना नीचे है. जबकि हमहीं धरातल पर नहीं होते.
जो भी हो साल पल दिन घडी हम सभी के लिए शुभ हो. हमारे मान सामान और प्रेम बरक़रार रहे. हमने इस साल कई स्वरों को ख़ू दिया. उन्हें शांति ....               

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