देश की रास्ट्रीय गान पर ख़ामोशी!!!
जी जहाँ देश भर में ६१ वे गणतंत्र दिवस मनाया जा रहा था। इंडिया गेट पर राष्ट्रपति महा महिम प्रतिभा देवी सिंह पाटिल जवानों की सलामी ली रही थीं। राज पथ पर जवान, विभिन राज्यों से आये युवा अपनी मिटटी, संस्कृति, लोक धुन आदि का परिचय दे रहे थे। इसी बीच जब देश का रास्ट्रीय गान, ' जन गन मन गया जा रहा था उस धुन पर कुछ लोगों की ख़ामोशी देखी जा सकती थी। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, वित् मंत्री प्रणव मुखर्जी , सोनिया गाँधी की होठ सिले हुवे थे। यदि किसी का होठ हिल रहा था तो वह था , उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी का। क्या ही विडम्बना है कि देश के प्रमुख पदों पर विराजे लोग बिना ही शर्म के देश के रास्ट्रीय गान का अपमान कर रहे थे मगर कोई इस ध्यान देने वाला नहीं था।
देश या की देश की शान तिरंगा झंडा का खुलम खुला मखोल बने और हम या की नयायपालिका, पत्रकरिता, कार्यपालिका सब के सब खामोश रहें तो फिर किसे से उम्मीद किया जायेगा। आम जनता अपने नेतावों को बड़ी ही उम्मीद से देखा करती है। मगर जब वो ही देश के सम्मान में गए जाने वाले गान को गुनगुनाना में कोताही बर्तेगें तो आम जनता में किसे तरह का सन्देश जायेगा।
यूँ तो कोर्ट ने समय समय पर इस बाबत आदेश जारी किये हैं लेकिन परिणाम यही धाक के तीन पात। पहले देश के सम्मान में गए जाने वाले गीत के दरमियाँ लोगों से उम्मीद की जाती थी की वो देश गान के समय कम से कम सावधान खड़े हो कर इज्जत देंगे। धीरे धीरे देखा गया कि लोगों को खड़े होने में भी परेशानी होती है। रास्त्र गान की इज्जत बनी रहे इस लिए कोर्ट में पीएल डाला गया कि कोर्ट इस मामले में हस्तचेप करे। लेकिन कोर्ट के अन्य आदेशों की तरह इस का भी हस्र हुवा।
स्कूल, कॉलेज में या कि अन्य अवसरों पर भी देश गान का अपमान किया जाता रहा है। याद करें इस से पहले इक प्रधानमंत्री देश गान के समय हाथ पीछे बांध कर खड़े थे। बाद में जब इस बाबत मीडिया में ख़बरें गरम हुई तो उनने अपनी गलती स्वीकारी। मगर देखते हैं ६० वे गणतंत्र पर सोनिया जी, मनमोहन सिंह, प्रणव मुखर्जी साहब अपनी इस चुप्पी पर कुछ बोलते हैं या नहीं।
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1 comment:
ase logo par karwi karni chahiye
fir wo koi bhi kyo na ho........
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