आप अस्सी पड़ावों को बेहतर ढंग से पार कर चुके,
जिस उम्र में आकर,
अमूमन लोग खुद को काम से मुक्ति पर्व मानते हैं,
किन्तु आपने कर्म प्रधान यही जग माहि,
जीया,
किया,
दुनिया को दिया,
शब्द समझ का औजार....
शब्द ब्रम्ह के करीब आप या
गंगा में स्नान,
आचमन,
तिलक,
धुनी राम कट ली ज़िन्दगी,
इस गुमान में कि,
हैं वो उसके बेहद करीब ...
पर सच है यह कि,
जो शब्द साधना करे-
एकांत वासी अरविन्द हो,
आप के जन्म दिन पर मेरी शुभ कामना स्वीकार करें,
आप का,
कौशलेन्द्र
यह एक ऐसा मंच है जहां आप उपेक्षित शिक्षा, बच्चे और शिक्षा को केंद्र में देख-पढ़ सकते हैं। अपनी राय बेधड़ यहां साझा कर सकते हैं। बेहिचक, बेधड़क।
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शिक्षकीय दुनिया की कहानी के पात्र
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