क्या ही गजब की बात है कि जहाँ इक और पूरी दुनिया २५ दिसम्बर को खुशियाँ मना रही ही वहीँ राजस्थान में उदयपुर के पास गावों में इक किसान परिवार की आर्थिक कंगाली ने भूख से किसान का जान ले रही थी। ज़रा देखना होगा कि आप जितनी रोटी थाली में बर्बाद कर देते हैं वह रोटी का टुकरा अगर उस परिवार का मिला होता तो कम से का परिवार की आश न खत्म होती।
जितनी बर्बादी पार्टी में होती है उस खर्च से कई बेहाल परिवार को रोटी मिल सकती थी। अगर हम येसा करें तो कई बेसहारा मौत की बजाय जीवन का सामना कर्येंगा।
यह एक ऐसा मंच है जहां आप उपेक्षित शिक्षा, बच्चे और शिक्षा को केंद्र में देख-पढ़ सकते हैं। अपनी राय बेधड़ यहां साझा कर सकते हैं। बेहिचक, बेधड़क।
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शिक्षकीय दुनिया की कहानी के पात्र
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