हेल्थ के साथ मजाक कभी भी फायदेमंद नहीं होता। आप भगवन को याद करें या नहीं इससे ज़यादा अंतर नहीं पड़ता। लेकिन यदि हेल्थ को ज़रा भी नज़रंदाज़ किया तो वो आपको ज़रा भी माफ़ नहीं करती। आपको इसी जन्म में यदि कहीं नरक है तो भोगना पड़ेगा।
मैंने दो दिनों में २००० रूपी खर्च कर चूका हूँ। वजह, रक्त चाप की मात्र २५५ हो गया। डॉक्टर को लग रहा था इस उम्र में रक्त चाप इतना कैसे हो सकता है? सो उसने कई तरह के जांच करा डाले। रिपोर्ट के अनुसार मुझे मीठा, बुट्टर, धुयाँ नहीं लेना है। डॉक्टर का कहना था, आप चाहें तो ड्रिंक कर सकते हैं मगर ध्यान रहे इससे ज़यादा खतरनाक धुयाँ होता है। सो मैं इसकी इज्ज़ज़त नहीं दे सकता।
अब लगता है, सच में सेहद ज़यादा नाज़ुक हुवा करता है , अगर लापरवाही की तो उसका हर्जाना तो देना ही होगा।
बस यही कहना है की सेहद के बड़ा कोई नहीं। लापरवाही तो बिलकुल नहीं।
यह एक ऐसा मंच है जहां आप उपेक्षित शिक्षा, बच्चे और शिक्षा को केंद्र में देख-पढ़ सकते हैं। अपनी राय बेधड़ यहां साझा कर सकते हैं। बेहिचक, बेधड़क।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
शिक्षकीय दुनिया की कहानी के पात्र
कौशलेंद्र प्रपन्न ‘‘ इक्कीस साल के बाद पहली बार किसी कार्यशाला में बैठा हूं। बहुत अच्छा लग रहा है। वरना तो जी ...
-
कादंबनी के अक्टूबर 2014 के अंक में समीक्षा पढ़ सकते हैं कौशलेंद्र प्रपन्न ‘नागार्जुन का रचना संसार’, ‘कविता की संवेदना’, ‘आलोचना का स्व...
-
प्राथमिक स्तर पर जिन चुनौतियों से शिक्षक दो चार होते हैं वे न केवल भाषायी छटाओं, बरतने और व्याकरणिक कोटियों की होती हैं बल्कि भाषा को ब...
-
कौशलेंद्र प्रपन्न सदन में तकरीबन साठ से अस्सी जोड़ी आंखें टकटकी लगाए सुन रही थीं। सुन नहीं रही थी बल्कि रोए जा रही थी। रोने पर उन्हें शर...
No comments:
Post a Comment