Thursday, October 26, 2017

स्थानीय पर्व का राष्टीय हो जाना



कौशलेंद्र प्रपन्न
जल्दी जल्दी उग न सूरज देव भइले अरग के बेर...
छठ पर्व वास्तव में बिहार और उत्तर प्रदेश में मनाया जाता रहा है। आज से बीस साल पीछे मुड़कर देखें तो दिल्ली वेथ्ट उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट आदि में छठ पर्व कम ही लोग करते थे।
ख़ुद दिल्ली में 1994 से 2000 तक छठ पर्व करने वालों को फटी नजरों से देखा करते थे। लेकिन आज स्थिति बिल्कुल उलट है। पूरा बाजार और सरकार इस पर्व को मना रही है। इसमें मीडिया की भूमिका को भी नजरअंदाज नहीं कर सकते। क्या हिन्दी और क्या अंग्रेजी के प्रतिष्ठित अखबार सभी इस पर्व को प्रमुखता से कवर कर रहे हैं। द हिन्दू, टाइम्स आफ इंडिया, आदि ने भी इस पर्व को हप्ते दिन पहले से कवर और फालो अप स्टोरी कर रहे हैं।
स्रकारी नीतियों में भी बदलाव देखे गए। इस पर्व पर छुट्टी की घोषणा बताती है कि इसके पीछे वोट बैंक काम कर रहा है।
लोकजन के पर्व छठ को देश के अन्य राज्यों में पहुंचाने में विस्थापित लोगों का भी बड़ा हाथ है। जैसे जैसे लोग राज्यों से विस्थापित होते गए वैसे वैसे यह पर्व भी उन उन राज्यों में मनाया जाने लगा।

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