आज हिन्दी के जाने माने कथाकार और संपादक श्री महेश दर्पण जी के साथ कहानी और कथा-जगत के बारे में विस्तार से चर्चा हुई। चर्चा में इस बिंदु पर भी विमर्श हुआ कि बच्चों के लिए कहानियंा लिखते वक्त किस तरह की सावधानियों की आवश्यकता पड़ती है। बात तो इस पर भी हुई कि पंचतंत्र आदि की कहानियों को कैसे आज संदर्भ में पुनर्रचना की जाए। क्योंकि समाज,काल,संस्कृति सापेक्ष कहानियों के कथ्य और संदर्भ भी बदले हैं। ऐसे में शिक्षकों को किस तरह के प्रशिक्षण प्रदान किए जाने चाहिए। शुक्रिया श्री महेश दर्पण जी।
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Thursday, January 28, 2016
टाॅक @ कथा-कथानक
आज हिन्दी के जाने माने कथाकार और संपादक श्री महेश दर्पण जी के साथ कहानी और कथा-जगत के बारे में विस्तार से चर्चा हुई। चर्चा में इस बिंदु पर भी विमर्श हुआ कि बच्चों के लिए कहानियंा लिखते वक्त किस तरह की सावधानियों की आवश्यकता पड़ती है। बात तो इस पर भी हुई कि पंचतंत्र आदि की कहानियों को कैसे आज संदर्भ में पुनर्रचना की जाए। क्योंकि समाज,काल,संस्कृति सापेक्ष कहानियों के कथ्य और संदर्भ भी बदले हैं। ऐसे में शिक्षकों को किस तरह के प्रशिक्षण प्रदान किए जाने चाहिए। शुक्रिया श्री महेश दर्पण जी।
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