Monday, February 1, 2016

हिन्दी शिक्षण में गतिविधियां






शिक्षकों को हिन्दी मंे गतिविधियों के मार्फत कैसे रेाचकता पैदा की जाए इस बाबत कुछ प्रयासों के चित्रों पर नजर डाल सकते हैं।
स्वातंत्रोत्तर शैक्षिक विकास और उसकी चुनौतियों पर नजर डालें तो पाएंगे कि ठीक आजादी के बाद और उससे पूर्व कई सारी समितियों और आयोगों का गठन इस मकसद से हुआ कि आजादी के पश्चात् हमारी शिक्षा की दिशा और दिशा क्या होगी? क्या शिक्षक शिक्षा संस्थान की कुछ भूमिका इस में हो सकती है जिसके मार्फत हम प्राथमिक और उच्च प्राथमिक शिक्षा को बेहतर बना सकते हैं। सेवापूर्व और अंतःसेवाकालीन शिक्षक शिक्षा को मजबूत करने के उद्देश्य से देश भर में जिला स्तरीय शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों यानी डाईट की स्थापना की गई। इन संस्थानों में शुरुआती दौर में बारहवीं पास बच्चों को दो वर्षीय प्राथमिक कक्षाओं में शिक्षण के लिए तैयार किए जाते थे। बाद में पत्राचार के मार्फत भी बी एड पाठ्यक्रम चलाया गया जिसके तहत काफी बड़ी संख्या में शिक्षक प्रशिक्षित होकर बाजार में उतरे। बाजार इसलिए क्योंकि निजी स्कूलों मंे कम दामों में खपने वाले उत्पादों की तरह भी थे। यह वह दौर था जब उदारीकरण की तेज हवा चल रही थी। सरकारी स्कूलों के बरक्स निजी स्कूलों के जन्म हो रहे थे। उन स्कूलों में बेहद ही कम वेतन पर खटने वाले शिक्षक मिल रहे थे। इससे शिक्षा का स्तर खासा प्रभावित हुआ। क्योंकि इनकी व्यवसायिक डिग्री और पढ़ाई उन्हें वास्तविक चुनौतियों से रू ब  रू होने मंे ज्यादा मददगार साबित नहीं हो रहे थे।

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