Tuesday, July 9, 2013

बहार ए बाहर
कभी सोचा भी नहीं होगा कि कल जब वो आॅफिस आएंगे तो उनका एसेस राइट छीन ली जाएगी। वो कम्प्यूटर नहीं खोल सकते। गेट से अंदर आने के बाद सब कुछ बदला बदला होगा। साथ काम करने वाले भी उनसे मंुह चुराएंगे। उनकी गलती क्या थी इस पर कोई खुल कर बोलेगा भी नहीं। सब तरफ ख़ामोशी और शांति पसरी होगी। सब को इसका डर सता रहा होगा कि कहीं बात करते कोई नोटिस न कर ले। 
दुनिया भर में 2008 में मंदी के दौरान इस तरह की घटनाएं आम देखी जा रही थीं। रातों रात लोगों के हाथ से नौकरी यूं फिसल रही थी जैसे रेत हो मुट्ठी में। रात काम कर के गए सुबह बे नौकरी हो गए। किसको क्या बताएं। कि घर जल्दी क्यों आ गया वो। 
2008 ही नहीं बल्कि कई कंपनियों में आज भी यह मंजर देखा जा सकता है। कोई कैसे रोतों रात सड़क पर आ जाता है इसका उसे इल्म तक नहीं होता। घर बाहर हर जगह उससे कई सवाल करती आंखें घूरने लगती हैं। न घर में चैन से रह पाता है और न बाहर।
ऐसे में कई लोगों के मधुर प्रणय संबंध खटाई में मिल गए। जो जोड़े शादी के लिए तैयार थे उसपर स्थगन के ग्रहण लग गए। होस्पिटल में किसिम किसिम के बीमार लोग आने लगे। दांत का दर्द। सिर में दर्द। खीझ, चिड़चिड़ापन। गुस्सा आदि इससे सेहद तो खराब हुई ही साथ ही कई रिश्ते दूर चले गए। छः छः माह या साल भर तक लोग तमाम नेटवर्क तलाशते रहे नौकरी के लिए। लेकिन एक टीस एक भूत कि आपको तो निकाला गया था उनका पीछे नहीं छोड़ते थे।
निकाले गए लोगों पर म्ंादी के व्यापक प्रभाव एवं दुष्परिणामों पर सही मायने में न विश्लेषण हुआ और न ही विमर्श ही। अखबारों, मीडिया एवं आम मंचों पर इस मुद्दे पर चर्चा भी गोया सेंसर के शिकार हो गए थे। अखबारों में तो खास कर चेतावनी दी गई थी कि मंदी और इससे जुड़े मामले अखबारों में नहीं दिखने चाहिए। सो नहीं दिखा। दृश्य माध्यमों पर भी इससे जुड़ी ख़बरें नदारत रहीं।
विभिन्न कंपनियों ने मंदी की आड में जम कर कत्ल ए आम मचाया। जिसमें कई निर्दोष जानें भी स्वाहा हो गईं। उन्हें संभलने में साल लग गए। किन्तु यह खेल अभी थमा नहीं है। कंपनी को घाटे से बचाने के तर्क पर यह खेल बतौर जारी है। ऐसे में जान तो कमजोर, असहायों की ही जाती है। जो ‘करीब’ होते हैं उन्हें एक खरोच तक नहीं आती।
ऐसे लाखों कामगरों के लिए सहानुभूत रखना कहां का गुनाह है। और यदि हमसे बन पड़े तो उनकी मदद करना किसी आपदा से प्रभावित पीडि़त की जान बचाने से कम नहीं है।

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