Thursday, July 25, 2013


घर सा बनाओ स्कूल
स्कूल खुले तकरीबन एक महीना दिन हो चुके हैं। कैसा लगा छुट्टियों के बाद स्कूल आना। हां छुट्टियों के बाद ज़रा पढ़ाई में मन नहीं लग रहा होगा। लेकिन पढ़ाई तो करनी है। स्कूल तो जाना है। वैसे भी देश के हर बच्चे को शिक्षा पाने का हक जो मिल चुका है। तो अब 6 से 14 साल तक के सभी बच्चे स्कूल जाएं और शिक्षा हासिल करें, इसके लिए सरकार ने आपके लिए कानून जो पास कर दिया है। जिसे शिक्षा का अधिकार कानून 2009 के नाम से जानते हैं।
मगर स्कूल हैं कि आपको अपनी ओर खींचते ही नहीं। स्कूल के नाम पर तरह तरह के बहाने बनाते हैं। ताकि स्कूल न जाना पड़े। लेकिन ज़रा सोचो अगर स्कूल नहीं जाओगे तो तालीस कैसे पाओगे। स्कूल जाना तुम्हें अच्छा लगे। स्कूल तुम्हें डरावने न लगें इसलिए शिक्षा का अधिकार कानून में बताया गया है कि स्कूल को कैसे बच्चों की रूचि के अनुसार बनाया जाए।
स्कूल में खेलने के मैदान हों। लाईब्रेरी हो। आपके क्लास रूम सुंदर सजे- धजे मन मोहक हों इसके लिए भी इस कानून में निर्देश और राय दी गई है। स्कूल की दीवारें, क्लास रूम की दीवारें, पंखे, छत रंगीले हों। दीवारों पर तुम चाहो तो खुद कलाकारी कर सको। जहां बैठते हो वह जगह भी आरामदायक और मजेदार हो इसके लिए आम आगे आ सकते हो।
स्कूल हो घर जैसा कैसे बना सकते हो। हां वैसे ही जैसे घर में आप डाईंग रूम, बेड रूमको सजाते हो वैसे ही अपने स्कूल कके हर कोने, क्लास को अपनी रूचि से सजा सकते हो। आप अपनी बनाई पेंटिंग, माॅडल, चित्र आदि को क्लास रूम में लगा सकते हो।
इतना ही नहीं अगर आप कविता लिखते हो, कोई कहानी या घटना अपने दोस्तों के साथ शेयर करना चाहते हो तो उसे साफ-संुदर हैंडराईटिंग में लिख कर अपने क्लास रूम या नोटिस बोर्ड पर सजा कर चिपका सकते हो। ऐसे करोगे तो खुद को भी अच्छा लगेगा। ज़रा कर के देखो तब तुम्हे अपना स्कूल अपने घर सा लगने लगेगा।
कौशलेंद्र प्रपन्न

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