सोची हुई बात जब सच हो जाए तो उसे क्या कहेंगे औरोबिन्दो घोष ने कहा था के हम जिस तरह के विचार हम करते हैं वो विचार कल्पना आने वाले समय में घटित होती हैं । इस लिए नकारात्मक सोच न तो अपने लिए और न ही दुसरे के लिए रखना चाहिए। क्या पता वो कब कैसे सच में साकार हो जाए। २६ की शाम मैंने इक कविता लिखी की बोहोत दिनों से कुछ हुआ नही, न बम बलास्ट हुआ न आत्महत्या हुई, किसे ने कुछ नही किया। और देखिये शाम होते न होते सच में मुंबई में इतना बड़ा आतंकी हमला हुआ।
या तो इसे आप संजोग कह ले या शब्द की शक्ति की शब्द ब्रमः होता है शब्द की शक्ति होई है।
शब्द की साधना की जाती है। इक शब्द क्या नही कर देता।
यह एक ऐसा मंच है जहां आप उपेक्षित शिक्षा, बच्चे और शिक्षा को केंद्र में देख-पढ़ सकते हैं। अपनी राय बेधड़ यहां साझा कर सकते हैं। बेहिचक, बेधड़क।
Friday, November 28, 2008
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शिक्षकीय दुनिया की कहानी के पात्र
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1 comment:
यह एक खोज का विषय है।शायद भविष्य में कोई यह बता पानें में समर्थ हो।
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