Wednesday, November 12, 2008

उर्दू जौर्नालिस्म रोल एंड....

उर्दू पत्रकारिता का अतीत और भविष्य पर दयाल सिंह कॉलेज में सेमिनार हुवा। इसमे उर्दू और हिन्दी के पत्रकार शामिल थे। लोगोनो की चिंता यह नही थी, के उर्दू पत्रकारिता को कैसे आज की चुनौतियों से लड़ने का औजार मिले या दिया जाए। बल्कि अमूमन वक्तावों ने केवल उर्दू ज़बान की तारीफ के पूल बांधे।
जबकि आज उर्दू पत्रकरिता को टेक्नोलॉजी बाज़ार और पाठक को समझना होगा।

No comments:

शिक्षकीय दुनिया की कहानी के पात्र

कौशलेंद्र प्रपन्न ‘‘ इक्कीस साल के बाद पहली बार किसी कार्यशाला में बैठा हूं। बहुत अच्छा लग रहा है। वरना तो जी ...