यह सच है जो आपकी ज़िन्दगी में रोज के उठा पटक , घटनावो में शामिल होता है वही दूर जा कर भी दूर नही होता। बल्कि कहना चाहिए के जो दूर रहा कर भी आपकी रोज के लाइफ में शामिल होते हैं वो भी बेहद याद आते ही हैं। कभी कभी यूँ होता है की वो दोस्त मिल जाता है रस्ते में या कहीं किसी जगह तो वही भावः नही निकलते जो कभी साथ रहते लगाव हुवा करता था। सम्भव है आप भी इस तरह के अनुभव से गुजरे हों। दरअसल होता यह है की जो लोग साथ होते हैं वो लड़ते भी हैं , प्यार भी उतना ही करते हैं। दोनों ही लगावो के रंग हैं ।
यही रंज में न बदल जाए इए का ख्याल रखना चाहिए।
यह एक ऐसा मंच है जहां आप उपेक्षित शिक्षा, बच्चे और शिक्षा को केंद्र में देख-पढ़ सकते हैं। अपनी राय बेधड़ यहां साझा कर सकते हैं। बेहिचक, बेधड़क।
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शिक्षकीय दुनिया की कहानी के पात्र
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