Wednesday, November 1, 2017

इतिहास क्यों पढ़ें


कौशलेंद्र प्रपन्न
सुबह की मुलकात में एक सज्जन ने पूछा कि क्या आपको इतिहास पढ़ना अच्छा लगता है? क्यों इतिहास पढ़ना ही चाहिए? आदि।
सवाल जैसा भी था। लेकिन इसमें उत्तर से पहले मुझे स्वयं में झांकने की जरूरत पड़ी। यह एक आम धारणा और कहने का चलन है कि बाबर, गजनी, शिवाजी गांधी ने जो भी किया हमें उन तारीखों, उनके कामों को रटना क्यां पड़ता है। क्यां हम उनकी भाषा-बोली, समाज व्यवस्था आदि को याद करें। कि हड़प्पा की संस्कृति क्यों ख़त्म हो गई? आदि।
मेरा भी जवाब यही था कि बचपन से बीए तक की पढ़ाई के दौरान मैंने भी इतिहास को इसी नजर से पढ़ी जैसे और बच्चे पढ़ते हैं। यानी नंबर हासिल करना और परीक्षा पास करना।
लेकिन अब जब विचार करता हूं तो इतिहास का दर्शन बेहद लुभावना और दिलचस्प लगता है।इतिहास अपनी ओर खींचता है।दरअसल जैसे इतिहास को पढ़ाया जाता हैवह तरीका खराब है।परीक्षाओं में पूछने जाने वाले सवालों की प्रकृति से अनुमान लगाना कठिन नहीं होता कि इतिहास को शुष्क बनाने में सवालकर्ता की भी बडी भूमिका होती है।वरना यह जानना कितना दिलचस्प होता हैकि फलां राजा या फलां राज्य में कितनी अच्छी नागर व्यवस्था थी। भवन निर्माण से लेकर स्थापत्य कला कितनी विकसित थी।
इतिहास की यात्रा निश्चित ही जोखि़म भरा है।इतिहास में प्रवेश तो आसान हैलेकिन वहां से लौटना चुनौती भरा है।जब हम पूर्वग्रहों के साथ इतिहास को पढ़ते हैंतब का इतिहास वही नहीं रहजाता जैसा वास्तव में रहा होगा। दरअसल हमें इतिहास को अपनी नजर से पढ़ते और समझने की कोशिश करते हैं।
इतिहास यानी अतीत में अटकने की ज्यादा संभावनाएं होती हैं। इसलिए इतिहास को पठन-पाठन ज़रा कठिन है।अतीतीय यात्रा को समझ के लिए इस्तमाल करना हमेशा ही बेहतर रहा है।जब हम इतिहास को पढ़ते हैंतो एक बार पुनः उस कालखंड़, संस्कृति को जी रहे होते हैं।
अतीत में अटकी हुई चेतना श्रेष्ठ नहीं मानी जाती। बल्कि अतीत से वर्तमान को सुधारने की समझ लेकर कर लौटना गोया किसी लंबी यात्रा के बाद थकन उतारने जैसा है।

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