Thursday, November 16, 2017

प्रेस की आज़ादी संग जिम्मेदारी भी



कौशलेंद्र प्रपन्न
प्रेस की आज़ादी से हमारा क्या मतलब है? अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता शायद यही अर्थ बेहद करीब बैठता है। सवाल यह उठ सकता है कि प्रेस को किससे, किस स्तर पर किस मकसद के लिए आज़ादी चाहिए आदि। प्रेस स्वत्रंत हो इसमें किसी को भी कोई गुरेज नहीं हो सकता। लेकिन प्रेस जब स्वयं निरंकुश हो जाए तो? प्रेस को भी नियंत्रण में रखने की आवश्यकता है?
प्रेस की आज़ादी और जिम्मेदारी दोनों को एक साथ एक मंच पर रखकर विचार करने की आवश्यकता है। प्रेस अपनी आज़ादी को क्या जिम्मेदारीपूर्वक निभा रहा है या नहीं इसकी भी जांच करने की प्रक्रिया और तंत्र हो तो बेहतर है। हालांकि समितियां और आयोगों का गठन किया जा चुका है। लेकिन दंतविहीन से क्या उम्मीद रखी जा सकती है।
किस ख़बर व किस घटना के साथ प्रेस को कैसे बरताव करना चाहिए यह प्रेस के लोकतांत्रिक विवेक पर ख़ासा निर्भर करता है। प्रेस का स्वविवेक क्या कहता है? किसी भी घटना व ख़बर में किसी की निजता का ख़्याल नहीं रखा जाना चाहिए। किसी ख़ास घटना पर कई बार प्रेस निर्णायक की भूमिका में होता है। यह शायद लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ के लिए नहीं है। यह कार्यक्षेत्र किसी और का है। यह जिम्मेदारी किसी पहले,दूसरे या तीसे खंभे की है तो यह काम उसे ही क्यों न करने दिया जाए।
अतिउत्साह के शिकार प्रेसकर्मी कभी कभी बल्कि अब तो कोई भी ख़बर मिल जाए उसकी मार्केटिंग में पूरी रिसर्च विंग्स झोंक देती है। बजाए उस घटना के दूरगामी मारक क्षमता का ख़्याल किए।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हर व्यक्ति, समाज और लोकतंत्र के चारों स्तम्भों को चाहिए। यह अनुचित भी नहीं लेकिन हमें विचार करना होगा कि क्या हम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का इस्तमाल जिम्मेदारी के साथ कर पा रहे हैं।
हाल के तीन चार सालों में नागर समाज के लेखक,साहित्यकारों और पत्रकारों को उनकी अभिव्यक्ति की आज़ादी को जिस बेरहमी से कुचला गया जिसे देखते हुए लगता है कि पहला स्तम्भ इतना मजबूत हो गया है कि तमाम अभिव्यक्ति के मायने को अपने तरीके से व्याख्यायित करने पर आमादा है। ऐसे में प्रेस को आगे आना ही होगा किन्तु जिम्मेदारी को नज़रअंदाज़ करते हुए नहीं बल्कि अपनी जिम्मेदारी को निभाते हुए।
कलमुर्गी, दाभोलकर, पंसारे, गौरी लंकेश आदि की हत्या बताती है कि सत्ता को विरोध, आलोचना कत्तई पसंद नहीं। जो भी सत्ता के ख़िलाफ आवाज़ बुलंद करेगा उसे मौन कर दिया जाएगा।

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