Wednesday, November 22, 2017

मोबाइल जी का साथ...



कौशलेंद्र प्रपन्न
काश! तुम लौट आते इक बार/ कितनी बातें/कितने चैट बिछ जाते बन पराग/जो तुम आ जाते इक बार महादेवी वर्मा जी की कविता से प्रभावित हो कर। मोबाइल जी क्या चले गए गोया पूरी दुनिया ही बरबाद हो गई। बार बार पॉकेट में हाथ जाए। कभी कहीं कभी कहीं मोबाइल जी को तलाशता रहा। लेकिन उन्हें नहीं मिलना था सो नहीं मिले। कुछ पल के लिए लगा सारी की सारी दुनिया बदरंग हो गई। कहीं कुछ भी नहीं हो रहा। न संगीत है। व आवाज है। और न यार दोस्त हैं।
वाकया क्या बताएं। बताते हुए रोना आता है। रे रो कर आंखें देखिए सूज गई हैं। अब तो आंखें अश्रुविहीन हो गईं। कहानी ही है मोबाइल की। कल ही तो मेटो्र में मोबाइल को चोर जी ने अपना बना लिया। उनके हाथ में खेलता इठलाता अपने पुराने दोस्त को पता नहीं याद करता होगा या नहीं। यह भी तो तब पता चले जब उनके मुलाकात और संपर्क हो सके। मैंने तो अपनी तरफ से खूब कोशिश की। कोशिश भी इतनी कि अपरिचितों से फोन मांगे।
कल का पूरा दिन खाली खाली बरतन का सा रहा। गुलज़ार के शब्दों में। मगर एक चीज हुई। पूरे दिन बिन टुनटूने के रहना का अपना सुख था तो अपनी कैफ़ियत भी थी। आस पास अब टेलिफोन बूथ भी तो नहीं रहे। सो किसी से भी फोन मांगना भीख मांगने जैसा है। दस बार अलग अलग नज़रों से देखते हैं। उनकी नज़रें आप पर टंगी होती हैं। किस को कर रहे हैं? कितनी देर बात कर रहे हैं आदि। उन्हें यह भी डर होता है कि इसके चले जाने के बाद कॉल बैक आए इन्हें कहां देखने जाउंगा।
शाम हुई तो फिर याद आए मोबाइल जी। अब अपनी सहयात्री को कैसे बताउं कि आफिस से निकल चुका हूं। कैसे बताउं कि कहां पहुंच गया आदि। कदम कदम पर टै्रकिंग होने बच गया। गूगल से ज्याद तेज़ अपनी सहयात्री होती हैं। जो स्टेशन स्टेशन आपको टै्रक करती हैं। कहीं बीच में तो नहीं उतर गए। कल इससे भी मुक्ति मिली।
कल तमाम सोशल अड्डा से बाहर रहा। सोच रहा था क्या क्या कहां कहां क्या हुआ होगा। इस चिंता और उत्सुकता से ऊपर उठ चुका था। न टी टी न लाइक्य, न कमेंट्स सब से बेख़बर।
आख़िर आप सोच रहे होंगे कि यह भी कोई कहानी है? क्या बेकार सी बात में आपका समय जाया किया। मगर बाबूजी कहानी तो कहानी होती हैं। वह मोबाइल की हो या इंसान की। उसकी कहानी हम सब की जिंदगी से जुड़ती चली जाती हैं।
चिंता न करें। आज मेरे पास मोबाइल है। नेटवर्क है। बातें हैं। और मोबाइल की तमाम पेचिंदगिंया हैं।

3 comments:

Unknown said...

अच्छा हुआ मोबाइल है वरना हम ये अच्छा लेख कैसे पढ़ पाते!☺

SHASHI KIRAN said...

बहुत
बढ़िया लेख बधाई

zindagi said...

Mobile na hua,Jane girl friend ho gai:) badiya lekh hai

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