Friday, November 24, 2017

भाषा टोला




कौशलेंद्र प्रपन्न
भाषा टोला सुन कर थोड़ी देर के लिए हैरान हो सकते हैं। होना ही चाहिए। क्योंकि आज हमारे बीच के बहुत सारी भाषाएं, बोलियां, शब्द ग़ायब हो चुकी हैं या बहुत तेजी से खो रही हैं।
हालही में एक कार्यशाला में मैंने प्रयास किया कि जिस तरह से समाज में बहुभाषा भाषी लोग होते हैं उसी तरह से कक्षा में भी बहुभाषी बच्चे होते हैं। ऐसे में भाषा बोली को कैसे बचाएं और उन्हें कैसे बच्चों में जिंदा रखें।
हमने पहले एक घंटे में सभी शिक्षक/शिक्षिकाओं से आग्रह किया कि वो अपनी मातृभाषा के शब्दों कों आमंत्रित करें। उन शब्दों, भाषाओं को बुलाएं जिन्हें कभी बचपन में इस्तमाल किया करते थे।
शुरू में थोड़ी दिक्कत आई किन्तु देखते देखते ही हमारे सामने तरह तरह के शब्द झांकने लगे। बल्कि वे शब्द हमारे आस-पास तैयारे लगीं।
उन फुदकती बोलियों, शब्दों में गढ़वाली, पंजाबी, भोजपुरी, ब्रज, हरियाणवी, खड़ी बोली हिन्दी, राजस्थानी आदि के शब्द एक के बाद एक आने लगीं। शुरू में बोलने में शिक्षक/शिक्षिकाओं को बोलने में थोड़ी शर्म सी महसूस हो रही थी।
लेकिन एक बार जब हमने अपनी भाषा-बोली को याद करना शुरू किया तो अब नजारा ही बदला हुआ था।
धिनाई पाणि, चोपल, मौडी-मौडा, बोतो, गोर डांगर, सौंझ बैणी, दाज्यू, पनारा, बुआरी, भेड दे, सुधरी घणा, वा चला ग्यो, गांझ, रोल्ला,  पाइन सेर तड़कै, भकार , गदैड़ा, बुझाया कि नहीं, केरवा के पत्ता आइल कि ना, शेरवा, बघवा आदि। इन शब्दों की सूची देना लक्ष्य नहीं था। बल्कि हमें यह भी समझना था कि इनमें कितने शब्द अब हमारे आस-पास गुम हो चुकी हैं।
तमाम रिपोर्ट इस ओर इशारा करते हैं कि रेज दिन न सही लेकिन बड़ी तेजी से भाषाएं और बोलियां हमसे दूर होती जा रही हैं। इन्हें बचाने के लिए हमें सजग होने की जरूरत है। यह शुरूआत स्कूली कक्षा से तो कर ही सकते हैं साथ ही आपस में भी बरतने से उन्हें बचा सकते हैं।

5 comments:

shailja said...

बिल्कुल भाषा को बटोरने की जरूरत है बिखरने की नहीं

Pallavi Sharma said...

Manak bhasha ke sath sath hame bhasha ke sondarya ko BHI Bachane ke liye prayasrat rahna hoga tabhi hamari bhasha samradhasheel rah payegi .

Pallavi Sharma said...

Manak bhasha ke sath sath hame bhasha ke sondarya ko BHI Bachane ke liye prayasrat rahna hoga tabhi hamari bhasha samradhasheel rah payegi .

Unknown said...

सराहनीय और प्रेरणात्मक प्रयास ।

BOLO TO SAHI... said...

आप सब का धन्यवाद.

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