Thursday, October 24, 2013

आॅल्मनैक यानी तिथि पत्री या पंचांग


कौशलेंद्र प्रपन्न
बारिश कब होगी, इस बार चंद्र या सूर्य ग्रहण कब लगेगा, दशहरा या दीवाली या ईद कब की है आदि सवाल तुम लोग जरूर पूछते होगे। इसका जवाब मम्मी या टीचर कैलेंडर देख कर बताते हैं। ज्योतिष के जानकार अपने पंचांग में देख कर बताते हैं कि फलां त्योहार किस दिन पड़ने वाला है। तुमने देखा होगा कि कई बार एक ही पर्व दो दिन पड़ जाते हंै। इसके पीछे क्या कारण है? कारण साफ है जो सूर्य और चंद्रमा के साथ अन्य ग्रहों की परिक्रमा को पढ़ते,समझते हैं वो बताते हैं कि सूर्य- चंद्र की स्थिति से ईद या अन्य पर्व के दिन बदलते हैं। ऐसी बातों, घटनाओं को तुम जिस पुस्तक व पत्र में देख सकते हो उसे ही आॅल्मनैक कहते हैं। इसे हिन्दी में पत्री, पंचांग व जन्त्री भी कहा जाता है।
पंडि़त जी के पास तुमने कभी इस तरह की पत्री-पंचांग देखी होगी। आकार में यह आम किताबों से अलग होती हैं। लंबे और बही खाते से मिलते हुए। इस पंचांग व आॅल्मनैक में चंद्र-सूर्य एवं ग्रहों की गतिविधि के साथ ही पूरे साल के त्योहार, किसानों के लिए भविष्यवाणियां आदि की जानकारी दी जाती हैं।
न केवल हमारे भारत में बल्कि इस तरह के पत्री व पंचांग बनाने का चलन ग्रीक एवं अन्य देशों में भी रहा है। इस तरह आॅल्मनैक में किसानों के लिए बुआई, कटाई बारिश आदि की महत्पूर्ण जानकारी दी जाती हैं। इसके अलावा ज्योतिष शास्त्र के जानकारों के लिए ग्रहों की गति-दशा और दिशा की जानकारी भी दी जाती है।
आॅल्मनैक यानी पंचांग हर साल बनाया जाता है। आॅलम्नैक में पूरे साल के महत्वपूर्ण पर्वों, सूर्य-चंद्र ग्रहण आदि की सटीक जानकारी दी जाती है। इस तरह के पंचांग में तुम अपने देश के महत्वपूर्ण पर्वों-त्योहारों की जानकारी हासिल कर ही सकते हो। हमारे पूर्वजों के पास जब कैलेंडर नहीं हुआ करता था तब वो इसी तरह के पंचांगों के जरीए आने वाले दिनों, महिनों एवं साल भर की जानकारियां पाया करते थे।

No comments:

शिक्षकीय दुनिया की कहानी के पात्र

कौशलेंद्र प्रपन्न ‘‘ इक्कीस साल के बाद पहली बार किसी कार्यशाला में बैठा हूं। बहुत अच्छा लग रहा है। वरना तो जी ...