Friday, November 1, 2013

स्थानांतरित लोग


सरकारी स्तर पर नहीं बल्कि वो उसकी मर्जी से इह लोग से उस लोक के लिए स्थानांतरित होते हैं। इसमें आपकी मर्जी का ख़्याल नहीं रखा जाता। न ही आपसे पूछा जाता है कि कब माईग्रेट होना चाहते हैं। आपकी सर्विस बुक भी उसी के पास है। वो आपके कर्र्मां का मूल्यांकन, परीक्षा और ग्रेडिंग करता है। जिस दिन जन्म लेते हैं उसी दिन आपकी सर्विस बुक में अवकाश प्राप्ति के दिन भी दर्ज कर दिए जाते हैं।
राजेंद्र जी गए, के पी सक्सेना जी गए जिन्होंने उसकी नजर में अवकाश हासिल किया। हम सभी को जाना ही है। यह अलग बात है कि हम किस तरह की सर्विस बुक लेकर उस लो जाते हैं।
साहित्य ही क्यों हर वो जगह हमारे जाने के बाद रिक्त तो होता ही है। लेकिन ठीक सर्विस की तरह आपके स्थान पर कोई और नियुक्त होता है। इस तरह से यह सिलसिला बतौर चलता रहता है।
जिस तरह आप सर्विस से विदा होते हैं उसी तरह आपके जाने के बाद आपकी आलमारी, दराज  आदि सब खाली कर साफ किया जाता है। आपकी चिंदींया, कतरनें, दवाइयां सब कुछ झाड़ पोंछ कर नए सिरे से सब कुछ सजाया जाता है।
तो बंधु जाने से पहले अपने दराज, आलमारी आदि को इस तरह साफ कर के जाएं कि जाने के बाद लोग यह न कहें क्या कबाड़ा किया उसने। ध्यान रहे कि आपकी याद तो आएगी लेकिन गलत कामों के लिए। कुछ दिन बाद ही सही आपका मूल्यांकन बचे हुए लोग करेंगे।

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