नार्यनते यत्र प्रताद्यानते.... हाँ इस तरह के वाक्य अब बदल जाएँ तो बेहतर। हाल ही में राहुल महाजन और डिम्पल महाजन के बीच की तकरार को उन सब ने देखा जिनने शादी के अवसर पर जश्न मनाया था। स्वम्बर को लेकर क्या ही दिलचस्पी देखने को मिली उसे देख कर लगा जैसे घर में किसी कि शादी हो रही है। लेकिन शादी कुछ ही माह बाद दोने के बीच के फाक सामने आ गए। राहुल के बहाने देश की उन तमाम दिमाग के माप सामने आते हैं जिस और इशारा मिलता है।
आज महिलाए किसे तरह घर , दफ्तर , ससुराल आदि जगह पिटाई खाती हैं किसी से छुपा नहीं है। आज इस वाक्य को बदल कर कुछ इस रूप में लिखना जाना चाहिय - जहाँ जहाँ नारी की पिटाई होती है वहां वहां अशांति की वस् होती है।
उस पर तुर्रा यह कि वोमेन एम्पोर्वामेंट की बात जिस शिदात से की जा रही है वह और कुछ नहीं बल्कि दिखावा है। राजनैतिक चाह और रूचि कैसी है इस और इशारा करता है। वर्ना महिला आरक्षण बिल अब तक ताल नहीं रहा होता। हर बार कुछ न कुछ पंगा लग जाता रहा है।
देश की हाल क्या बयां करें को नहीं जानत है कि हर पल लड़की , औरत की जिस क़द्र पिटाई होती है उसे हम इन्सान तो क्या इक जानवर भी कुबूल नहीं कर सकता। २१ वि सदी में हम महिल्याओं को शराब, रात घर से पार बिताते और गर्भनिरोधक गोली को हाजमोला की गोली की तरह चूसते देखा है। तो यह है न्यू , आधुनिक और अल्ट्रा मोर्डेन प्रीती वोमेन आफ डा इंडिया।
यह एक ऐसा मंच है जहां आप उपेक्षित शिक्षा, बच्चे और शिक्षा को केंद्र में देख-पढ़ सकते हैं। अपनी राय बेधड़ यहां साझा कर सकते हैं। बेहिचक, बेधड़क।
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