Saturday, August 7, 2010

सेल के खेल में

सेल के खेल में सब कुछ गवा कर भी हम कितने खुश होते हैं। जब कि सच कुछ और ही होता है। सेल में न वापसी न बदलावों और न ही आपकी बात सुनी जाती है इक बार सामान बिक जाने के बाद दुकान पर जाएँ वही सेल्स मेनेजर व सेल्स बॉय आप की और देखता तक नहीं है। उस पर तुर्रा याह क्या बात है जब सामान खरीदने गए थे तब कि बर्ताव और बाद के बर्ताव में बोहुत अंतर आ जाता है। तब उनको सामान सेल करना था अब आपका काम अटका है।

सेल का फंदा तो बड़ा ही मौजू है , जो सामान आम दिनों में ६००, ८०० रुपे के होते हैं वही सेल में २५००, ३००० रूपये के ताग के साथ दीखते हैं। us par 50-50 % के सेल के बाद ५००, ८०० रूपये के आते है हम भी कितने खुश होते है कि सेल में खरीदारी की हैं। जब कि ज़रा दिमाग का इस्तमाल करें तो पायेंगे कि बिना सेल में और सेल के सीजन में कोई फर्क नहीं पड़ता।

सेल के नाम पर पिछले साल के सामान निकलने के ये सब नायब तरीके होते हैं।

1 comment:

संगीता पुरी said...

सही है .. सेल के खेल निराले !!

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